दो बैलों की कथा
प्रेमचंद द्वारा लिखित लघुकथा
इस लेख में सत्यापन हेतु अतिरिक्त संदर्भ अथवा स्रोतों की आवश्यकता है। कृपया विश्वसनीय स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री को चुनौती दी जा सकती है और हटाया भी जा सकता है। स्रोत खोजें: "दो बैलों की कथा" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
दो बैलों की कथा 1931 में मुंशी प्रेमचंद द्वारा रचित हिन्दी कहानी है।
यह कहानी सांकेतिक भाषा में यह संदेश देती है कि मनुष्य हो या कोई भी प्राणी हो, स्वतंत्रता उसके लिए बहुत महत्व रखती है। स्वतंत्रता को पाने के लिए लड़ना भी पड़े, तो बिना हिचकिचाए लड़ना चाहिए। हमें स्वतंत्रता कोई देता नहीं, छीननी पड़ती है। जन्म के साथ ही स्वतंत्रता सबका अधिकार है, उसे बनाए रखना सबका परम कर्तव्य है विचार समाज के समक्ष रखता है।
बाहरी कड़ियाँ
संपादित करें- दो बैलों की कथा Archived 2023-07-17 at the वेबैक मशीन
- दो बैलो की कथा (हिन्दी विकिस्रोत पर)
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |