पं. दौलतराम जयपुर की तेरहपंथ शैली में एक समादृत विद्वान थे। उन्होने वि॰सं॰ १८२३ में 'पद्मपुराण' नामक हिन्दी ग्रन्थ की रचना की जो पद्मपुराण के मूलश्लोकों का यह अनुवाद है। वे आधुनिक मानक हिन्दी के आरम्भिक साहित्यकारों में गिने जाते हैं।