द्वादशनिदान
१-जरा मरण २ जाति - अर्थात् जन्म लेना यह जरा मरण का कारण हैं 3 .भव - अर्थात् जन्म लेने की इक्छा होना यह जाति का कारण है 4. उपादान - वस्तुओं के प्रति मोह यह भव का कारण है। 5. तृष्णा - अर्थात् विषयों के प्रति आप्तित यह सभी दुखों का संसार का मूल है यह उपादान का कारण है। 6. वेदना - यह तृष्णा का करना है। जो इंद्रियों और उनके स्पर्श से उत्पन्न होती हैं 7. स्पर्श - यह इंद्रियों और उनके संयोग से उत्पन्न होती है 8. षड्यतन - शरीर और मन की छह इंद्रियां षड्यटन है यह स्पर्श का कारण है। 9. नामरूप - मन के साथ गर्भस्थ शरीर नामरूप कहा गया हैं यह षड्यतन का करना हैं 10. विज्ञान - अर्थात् चेतना यह नामरूप का करन हैं 11. संस्कार - पुनर्जन्म के कार्यों के कारण संस्कार बनता है। यह विज्ञान का कारण हैं 12. अविद्या - ऐसे कर्म जो पूर्ण विवेक से नहीं किए जीआर हो
टिपण्णी - द्वादश निदान मनुष्य को जन्म और पुनर्जन्म के चक्र में बंधे रखता हैं