द मैन-ईटर्स ऑफ़ सावो 1907 में जॉन हेनरी पैटरसन द्वारा लिखी एक पुस्तक है जो उनके उन अनुभवों का वर्णन करती है जिनसे वे एक रेलरोड पुल के निर्माण के दौरान गुज़रे और यह पुल आगे चलकर केन्या कहे जाने वाले देश में बन रहा था। इसे एक शेर के जोड़े की कहानी का वर्णन करने के लिए व्यापक रूप से जाना जाता है जिसे उन्होंने मारा था, इस जोड़े को सावो के आदमखोर कहा जाता था।

The Man-eaters of Tsavo
चित्र:The Man-eaters of Tsavo book cover.jpg
लेखकJohn Henry Patterson
भाषाEnglish
शैलीNon-fiction
प्रकाशकMacmillan and Co., Limited
प्रकाशन तिथि1907
प्रकाशन स्थानUnited Kingdom
मीडिया प्रकारPrint

संक्षिप्त विवरण

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शेरों की मौत के बाद, यह पुस्तक अतिरिक्त चुनौतियों (जैसे एक भयंकर बाढ़) के बावजूद पुल का निर्माण कार्य पूरा होने का वर्णन करती है और साथ ही साथ स्थानीय वन्य जीवन (जिनमें अन्य शेर शामिल हैं), स्थानीय जनजातियों, आदमखोरों के गुफा की खोज और विभिन्न शिकार अभियानों से जुड़ी कई अन्य कहानियां भी कहती है।

परिशिष्ट में ब्रिटिश ईस्ट अफ्रीका की यात्रा करने वाले खिलाड़ियों के लिए सलाह शामिल हैं। पुस्तक में पैटरसन द्वारा उस समय लिए गये चित्र भी शामिल हैं जिनमें रेलवे निर्माण; श्रमिकों; स्थानीय जनजातियों; दृश्यों और वन्य जीवन; और आदमखोरों के चित्र शामिल है।

सावो के आदमखोर शेरों के विषय में अनेक प्रकाशन और अध्ययन, पैटरसन के वर्णन से प्रेरित हैं। इस पुस्तक का तीन बार फ़िल्मी रूपांतरण हुआ है: एक मोनोक्रोम, 1950 के दशक की ब्रिटिश फिल्म, 1952 3-डी फिल्म जिसका शीर्षक था बवाना डेविल और 1996 की रंगीन संस्करण जिसका नाम था घोस्ट एंड डार्कनेस जिसमें वॉल किल्मर ने उस बहादुर इंजीनियर का किरदार निभाया है जो सावो के शेरों का शिकार करता है।

आदमखोर शेरों के वर्णन की ऐतिहासिकता

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इस पुस्तक को विक्टोरियन, प्राचीन शैली में लिखा गया है जो वर्तमान समय में अधिलेखित प्रतीत हो सकता है। हालांकि, पुनर्मुद्रण में संपादक के नोट में यह दावा किया गया है कि तथ्यों से सुझाव मिलता है कि कुछ पहलुओं को वास्तव में कमतर रूप में प्रस्तुत किया गया है, जैसे कि हस्लेम की मौत, जिसके बारे में अधिक और भयानक तथ्य ज्ञात हैं।[1] इस पुस्तक में आदमखोर शेरों द्वारा सावो, केन्या में 1898 में युगांडा रेलवे के निर्माणकर्ताओं पर हमले का वर्णन है और कैसे उन शेरों को अंततः पैटरसन ने मार डाला इसकी चर्चा है। यह उल्लेखनीय है कि पैटरसन द्वारा मारे जाने से पहले उन नरभक्षियों ने एक साल के भीतर लगभग 135 लोगों को मार डाला था (हालांकि यह संख्या विवादित है[2]).

खुद कर्नल पैटरसन की 1907 की किताब में लिखा है कि "उन दोनों (शेरों) के द्वारा कम से कम 28 भारतीय कुली और इसके आलावा कई अभागे अफ्रीकी बाशिंदे मारे गए जिनका कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं रखा गया". इस कमतर संख्या की पुष्टि डॉ॰ ब्रूस पैटरसन की अंतिम पुस्तक द लॉयंस ऑफ़ सावो: एक्सप्लोरिंग द लिगेसी ऑफ़ अफ्रिकाज़ मैन ईटर्स में की गई थी जिसका प्रकाशन 2004 में मैकग्राहिल द्वारा किया गया था। पैटर्सन ने शिकागो में फील्ड संग्रहालय में यह पुस्तक लिखी जहां ये शेर प्रदर्शित हैं। उन्होंने दिखाया कि मरने वालों की इतनी अधिक संख्या उस पैम्फलेट के कारण उपजी थी जिसे 1925 में कर्नल पैटरसन ने लिखा था, जिसमें बताया गया था कि "इन दोनों क्रूर जानवरों ने सबसे भयावह परिस्थितियों में 135 भारतीय और अफ्रीकी कारीगरों और मजदूरों को मार कर खा लिया जो युगांडा रेलवे के निर्माण कार्य में कार्यरत थे।"[3]

शेर की खाल को शिकागो में फील्ड म्युज़िअम ऑफ़ नेचुरल हिस्ट्री में देखा जा सकता है।

पुस्तक पूर्वी अफ्रीका में सेट है। इन आदमखोरों के हमले के सबसे निकट का बड़ा शहर मोम्बासा है जो 442,369 की आबादी के साथ केन्या का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। सावो के आदमखोरों का हमला तब हुआ जब युगांडा रेलवे पर काम चल रहा था। इस रेल का मार्ग युगांडा, केन्या और तंजानिया से होकर गया था और इसमें मोम्बासा, नैरोबी, टांगा, दार एस सलाम, मपांडा, किग्मा, तुन्दुमा, किदातु, टबोरा, मवान्ज़ा, अरुषा, मोशी, नागेडी, नान्युकी, नाकुरू, किसुमु, कसेसे, कंपाला, टोरोरो और अनुआ के प्रमुख शहर शामिल थे।

पुल की परियोजना विवादास्पद थी और ब्रिटिश प्रेस ने इसे "पागलपन एक्सप्रेस" संदर्भित किया,[4] क्योंकि आलोचकों का मानना था कि यह धन की बर्बादी है, जबकि समर्थकों ने तर्क दिया कि माल की ढुलाई के लिए यह आवश्यक है। हालांकि परियोजना सफल रही और पैटरसन का पुल मज़बूत, इसे पूर्वी अफ्रीका अभियान में जर्मन सेनाओं द्वारा उड़ा दिया गया।

कर्नल जॉन पैटरसन को पूर्वी अफ्रीका (बाद में केन्या) में एक पुल का निर्माण करना है। जब वे इस पर काम कर रहे हैं तो दो आदमखोर शेर सामने आते हैं। वे मानव मांस के एक टुकड़े के लिए कुछ भी करते हैं और उनका पीछा करने, पकड़ने या शिविर से दूर रखने का प्रथम प्रयास असफल हो गया। वे शिविर अस्पताल पर हमला करते हैं और एक मरीज को मार डालते हैं। अस्पताल को वहां से हटा लिए जाने के बाद भी, एक शेर घने, कांटे से बने बाड़े को जिसे बोमा कहते हैं पार कर जाता है और पानी भरने वाले को खींच के ले जाता है और मार डालता है। इन शेरों के शिकार के दौरान, पैटरसन का सामना लाल थूक वाले कोबरा, एक गैंडा, एक दरियाई घोड़ा, जंगली कुत्तों के झुण्ड, एक हिरण जिसने मरने का नाटक किया और ज़ेबरा के एक झुंड से हुआ जिसमें से उन्होंने छह जेब्रा पकड़ लिए। उन्होंने एक नए प्रकार के मृग को भी गोली मारी, टी. ओरिक्स पैटरसोनियनस. अंत में, एक बकरी को बांधकर पहले वाले शेर को पैटरसन एक ऊंची मचान से मारता है - हालांकि कुछ तनावपूर्ण क्षणों के दौरान पैटरसन खुद शिकार बन जाता है। पैटर्सन और महेना, दूसरे शेर का पीछा मैदानों में करते हैं। जब वे उसे पाते हैं और गोली मारते हैं तो वह शेर उन पर हमला कर देता है और उन्हें कई गोलियां चलानी पड़ती हैं।

पुल परियोजना को पूरा करने के दौरान केवल शेर ही चुनौती नहीं है। देशी कामगारों और परियोजना पर काम करने के लिए ब्रिटिश ईस्ट इंडिया से लाए गए सिखों के बीच तनाव भी परियोजना को खतरे में डाल देता है। एक बिंदु पर, पैटरसन का सामना शेर से भी बड़े खतरे से होता है - भयंकर बाढ़. यह बाढ़ आपूर्ति पुलों को बहा देती है और लोहे के पट्टियों को पेड़ों के आस-पास लपेट देती है। उखड़े हुए पेड़ों ने भी पुल को क्षति पहुंचाने में कोई कसार नहीं छोड़ी. लेकिन अच्छी तरह से निर्मित पुल बरकरार रहता है। इस चुनौती से साबित होता है कि पुल पर काम करते हुए बिताये गए वर्ष व्यर्थ नहीं हैं।

पैटरसन द्वारा पुल का निर्माण पूरा करने के बाद, उन्हें पता चलता है कि एक शेर ट्रेन स्टेशन को नष्ट करने की कोशिश कर रहा है। जब वे देखने के लिए जाते हैं, तो उन्हें खून के बड़े धब्बे दिखते हैं जहां से शेर ने छत को तोड़ने की कोशिश की थी। वहां एक डिब्बे में 3 पुरुष थे और एक अन्य में अनिश्चित संख्या में कुली थे। जब शेर ने प्रवेश किया तो दो पुरुष फर्श पर सोये हुए थे। शेर एक आदमी था और दूसरे पर हमला करने की कोशिश में था। तीसरे आदमी ने अन्य डब्बे में जाने की कोशिश में, जिसे कुलियों ने अपनी पगड़ी से बंद कर रखा था, शेर की पीठ पर से चढ़ते हुए तेज़ी से भागने की कोशिश की। कुलियों ने उसके आने भर को दरवाज़ा खोल दिया और फिर उसे बंद कर दिया। अन्य आदमियों के मामले में एक को शेर ने मार दिया और खा गया जबकि दूसरा आदमी चुपचाप पड़ा था शायद अपनी जान बचाने के प्रयास में. यह सुनकर पैटरसन ने इस शेर के पीछे जाने का फैसला किया और अंत में उसे खोजकर उसे मार दिया।

शेर के साथ एक और नजदीकी मुठभेड़ तब होती है जब वह शेर एक घरी पर सवार हो जाता है। घरी एक छोटी ट्राली के समान केन्या में परिवहन का साधन है। एक अन्य समय वापस ट्रेन स्टेशन के रास्ते पर, पैटरसन अपने एक दोस्त के साथ बातचीत करता है जिसने कभी कोई शेर नहीं मारा था। करीब कुछ सौ गज की दूरी पर, पैटरसन शेरों की एक जोड़ी की तरफ इशारा करता है और अपने दोस्त को उन्हें गोली मारने के लिए प्रोत्साहित करता है। एक शेर पहली गोली पर भाग जाता है, लेकिन दूसरे शेर को वह सफलतापूर्वक मार देता है। किताब के अंत में एक शेर की तस्वीर है जिसे दोस्त ने पकड़ा था।

जब पैटरसन के जाने का समय आता है, तो कुछ कुली और मूल निवासी उसके साथ जाना चाहते हैं। हालांकि, पैटरसन जानता है कि उनमें वह प्रतिरक्षा प्रणाली नहीं है जो अफ्रीका के बाहर रोगों का मुकाबला कर सके। इसलिए वह नम्रता से मना कर देता है और कुछ वर्षों के लिए अफ्रीका छोड़ देता है। (बाद में वे अफ्रीका वापस आते हैं, लेकिन उनके जीवन के इस भाग को इस पुस्तक में दर्ज नहीं किया गया है।)

आदमखोर 1 (घोस्ट) 9'9" लंबा और 3'9" ऊंचा
आदमखोर 2 (डार्कनेस) 9'6" लंबा और 3'11" ऊंचा।

जॉन पैटरसन पुस्तक के लेखक और मुख्य पात्र हैं। उस समय, वे इंजीनियर के रूप में प्रशिक्षित ब्रिटिश सेना में एक लेफ्टिनेंट कर्नल थे। वे एक शौकिया शिकारी भी थे। अन्य में निम्न शामिल थे-

श्री एंडरसन, रेल अधीक्षक
डॉ॰ मेकलो, प्रभारी चिकित्सक
डॉ॰ रोज़ एक चिकित्सा अधिकारी और पैटरसन के मित्र
डॉ॰ ब्रौक, दोस्त और साथी शिकारी

कुली शब्द उन भारतीय मजदूरों के लिए किया जाता था जिन्हें रेलरोड पर कम करने के लिए ब्रिटिश भारत से लाया गया था। इस परियोजना के पूरा होने के बाद कई पूर्वी अफ्रीका में ही बस गए।

हीरा सिंह, एक मजदूर जिसका पैर एक चट्टान के गिरने से लगभग चकनाचूर हो जाता है
पुरषोत्तम हरी, रेलरोड निर्माण का निरीक्षक.
करीम बख्श, एक उपद्रवी जिसकी योजना का पर्दाफ़ाश पैटरसन करता है।
मिस्टर व्हाइटहेड, जिला अधिकारी, शेर द्वारा ज़ख़्मी
मिस्टर क्रॉफर्ड ब्रिटिश कौंसुल है।
मिस्टर दल्गार्म्स, निरीक्षक जिन्हें एक शेर ने लगभग जख्मी कर ही दिया था।
अब्दुल्ला, मिस्टर व्हाइटहेड का अस्कारिस का हवलदार, जिसे शेर ने मार डाला।
मिस्टर फर्कुहार, शिकार पार्टी का एक सदस्य.
महेना, पैटरसन का बन्दूक रक्षक.
मब्रुकी, शिविर का खानसामा
मूटा, मुस्लिम शिकार सहायक.
श्रीमती ओ'हारा, जिसका पति मार डाला गया।
रोशन खान, एक सहायक.
स्पूनर, पैटरसन का अच्छा दोस्त.
इमाम दीन, स्पूनर का नौकर.
भूता, एक नौकर.
लंडालू, एक देशी गाइड.

सांस्कृतिक प्रभाव

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सावो के आदमखोर शेरों के बारे में अनेक प्रकाशन और अध्ययन पैटरसन के विवरणों से प्रेरित हैं। संबंधित पुस्तकों में शामिल हैं:

  1. ब्रूस पैटरसन द्वारा द लॉयंस ऑफ़ सावो: एक्सप्लोरिंग द लिगेसी ऑफ़ अफ्रीकाज़ नटोरिअस मैन-ईटर्स
  2. फिलिप कपुटो द्वारा घोस्ट ऑफ़ सावो: स्टॉकिंग द मिस्ट्री लॉयंस ऑफ़ ईस्ट अफ्रीका

इस पुस्तक का फिल्म के रूप में तीन बार रूपांतरण हुआ है: एक मोनोक्रोम, 1950 के दशक की ब्रिटिश फिल्म, 1952 3 डी फिल्म जिसका शीर्षक था बवाना डेविल और 1996 की रंगीन संस्करण जिसका नाम था घोस्ट एंड द डार्कनेस जिसमें वाल किल्मर ने उस साहसी इंजीनियर का किरदार निभाया है जिसने उन शेरों को मार गिराया.

  1. पैटरसन, जे. एच., द मैन ईटर्स ऑफ़ सावो, 1986, न्यूयॉर्क, सेंट मार्टिन प्रेस, ISBN 0-312-51010-1, पुनर्मुद्रण संस्करण में संपादक की कलम से.
  2. Gnoske, Thomas and Julian Kerbis Peterhans (2003). "Field Museum uncovers evidence behind man-eating; revises legend of its infamous man-eating lions". Journal of East African Natural History. मूल से 7 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 अप्रैल 2011.
  3. द मैन-ईटिंग लॉयंस ऑफ़ सावो . जूलॉजी: 7 पुस्तिका, प्राकृतिक इतिहास का फील्ड संग्रहालय, शिकागो
  4. Mathenge, Gakuu (2005-10-23). "A new dawn for the Lunatic Express". Daily Nation. मूल से 20 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2009-06-27.

बाहरी कड़ियाँ

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