धमनीस्फीति या धमनी विस्फार (Aneurism / एन्यूरिज्म) धमनी के स्थानीय उभार को कहते हैं। सामान्य स्थिति में धमनी एक सी नलिकाकार संरचना होती है। जब धमनी की भित्ति कहीं दुर्बल हो जाती है तब वहाँ खिंचाव होता है और धमनी में प्रवाहित रक्त के दाब के कारण उभार उत्पन्न हो जाता है। यही धमनीस्फीति है।

(a) सामान्य अवस्था ; (b) तथा (c) धमनी विस्फार

धमनीभित्ति की दुर्बलता के बहुत सामान्य कारण, जन्म से ही विकास में त्रुटि, धमनी भित्ति में चोट या सिफलिस संक्रमण हैं। शरीर की किसी भी धमनी में स्फीति हो सकती है, किंतु बहुतायत से यह महाधमनी (aorta), पादों की प्रमुख धमनियों और मस्तिष्क की धमनियों में होती हुई पाई जाती है।

धमनीस्फीति निकटवर्ती ऊतकों पर दबाव डालती है, जिससे पीड़ा होती है। कभी कभी धमनी फट भी जाती है, जिससे तीव्र रक्तस्राव होता है। धमनीस्फीति के रोगी को रोगस्थल पर पीड़ा होती है। स्फीतिस्थल के आरपार जानेवाली तंत्रिकाओं से पीड़ा फैल भी सकती है। कभी कभी शरीर के तल पर उभार दिखाई पड़ता है।

धमनीस्फीति का संतोषप्रद उपचार कुछ दिन पूर्व तक उपलब्ध नहीं था, पर अब स्फीतिग्रस्त धमनीखंड को काटकर उसके स्थान पर मृत शरीर की धमनी, या नाइलॉन या इसी प्रकार के किसी अन्य पदार्थ की उसी प्रकार की नली का खंड लगाकर इसका उपचार संभव हो गया है।

हृदय से शरीर को रक्त की आपूर्ति करने वाली मुख्य धमनी को 'महाधमनी कहते है। इस धमनी का कोई भाग कभी-कभी किन्हीं कारणो से कमजोर हो जाता है। ऐसे मे रक्त के दबाव के कारण यह कमजोर हिस्सा कभी-कभी गुब्बारे का आकार ले लेता है। इस स्थिति को चिकित्सकीय शब्दावली मे 'धमनीस्फीति' की संज्ञा दी जाती है।

जब यह सूजन सीने के पास स्थित मुख्य धमनी मे होती है, तो इसे 'थोरेसिक एआर्टिक एन्यूरिज्म' कहते है। यदि इसका तत्काल इलाज न किया गया, तो इसके फटने का डर रहता है। इस स्थिति मे ९० से ९९ प्रतिशत तक जान जाने की आशंका रहती है।

अधिकांश रूप मे इस बीमारी के कोई खास लक्षण प्रकट नही होते। मरीज केवल यही शिकायत करता है कि पेट मे फड़कन-सी हो रही है। इसका सटीक पता करने के लिए कैट स्कैन या अल्ट्रासाउंड किया जाता है।

किन्हे खतरा है?

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यह रोग महिलाओ की अपेक्षा पुरुषो को अधिक होता है। ५५ वर्ष से ज्यादा उम्र वाले व्यक्तियो मे इस रोग के होने की आशंका कुछ ज्यादा ही होती है। इसी तरह जिन लोगो की धमनी मे कड़ापन हो या वे मधुमेह या उच्च रक्तचाप के शिकार हो, उनमे इस रोग की आशंका ज्यादा होती है।

एन्यूरिज्म के उपचार मे अब तक आपरेशन का ही सहारा लिया जाता था। इस आपरेशन को काफी खतरनाक माना जाता है और इसमे पूरा पेट खोलना पड़ता था। इस कारण संक्रमण का अंदेशा बना रहता था। किंतु अब आपरेशन के बगैर भी यह रोग ठीक हो जाता है। इस अत्याधुनिक विधि को 'एंडोवैस्कुलर स्टंट ग्राफ्टिंग' कहते हैं। स्टंट एक विशेष प्रकार की धातु से निर्मित होता है। इसके ऊपर एक आवरण चढ़ा रहता है, जिसे एक विशेष 'कैथेटर' के माध्यम से धमनी के कमजोर हिस्से के अंदर डाला जाता है। परिणामस्वरूप रक्त का बहाव धमनी के कमजोर हिस्से के स्थान पर स्टंट के माध्यम से होने लगता है। इस प्रकार उस स्थान के फटने का डर समाप्त हो जाता है।

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