धरसेनाचार्य दर्शन और सिद्धांत विषय के गंभीर विद्वान थे। वे आचार्य के साथ शिक्षक भी थे, मंत्रशास्त्र के ज्ञाता भी। उनके द्वारा रचित योनिपाहुड नामक ग्रन्थ का उल्लेख मिलता है।[1]

सन्दर्भ संपादित करें

  1. jainpuja.com https://jainpuja.com/jain-puja/jain-dharmke-prabhavak-acharya2.aspx. अभिगमन तिथि 27 मई 2021. गायब अथवा खाली |title= (मदद)