धर्मपाल सैनी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी है। भूदान आंदोलन के प्रणेता विनोबा भावे के शिष्य रहे सैनी को लोकहित के कामों के कारण बस्तर का गांधी भी कहा जाता है।[2] साथ ही प्यार से स्थानीय लोग उन्हें ताऊजी भी कहते हैं। मध्यप्रदेश के धार जिले के धर्मपाल सैनी ने आगरा यूनिवर्सिटी से कॉमर्स में ग्रेजुएशन किया था और शानदार एथलीट हुआ करते थे बालिका शिक्षा में योगदान के लिए धर्मपाल सैनी को साल 1992 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया।[1] पद्मश्री के अलावा कई सम्मान उनके खाते में लगातार आते रहे। साल 2012 में द वीक मैगजीन ने सैनी को मैन ऑफ द इयर चुना था। कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास की सुरक्षित वापसी में सबसे अहम भूमिका पद्मश्री धर्मपाल सैनी की मानी जा रही है।

धर्मपाल सैनी
जन्म 1930
धार, मध्य प्रदेश, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
पेशा Educator
पुरस्कार पद्मश्री, 1992[1]

एमपी के धार जिले के रहने वाले सैनी 1976 में पहली बार बस्तर आए।[3][4] बरसों पहले उन्होंने बस्तर में लड़कियों से संबंधित एक खबर पढ़ी थी। खबर के अनुसार दशहरा के मेले से लौटने के दौरान कुछ लड़कों ने लड़कियों के साथ छेड़छाड़ कर दी। लड़कियों ने उन लड़कों के हाथ-पैर काट कर उनकी हत्या कर दी थी। सैनी इस खबर से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने उसी समय बस्तर आने और यहां की लड़कियों के लिए कुछ करने का फैसला कर लिया था।

इन्हें भी देखें संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. "कौन हैं बस्तर के गांधी, जिन्होंने CRPF जवान को छुड़ाने में मदद की?".
  2. "Bijapur Encounter: कौन हैं 'बस्तर के गांधी' धर्मपाल सैनी जिन्होंने नक्सलियों के कब्जे से कोबरा कमांडो की रिहाई में निभाई अहम भूमिका".
  3. "जानें, कौन हैं बस्तर के 'ताऊजी', जिनके प्रयासों से नक्सलियों के कब्जे से मुक्त हुए कमांडो राकेश्वर सिंह मन्हास".
  4. https://www.thebetterindia.com/61236/bastar-tauji-dharampal-saini-education-chattisgarh/

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें