धर्मांधता मन की अवस्था है जिसमें व्यक्ति हठपूर्वक, युक्तिपूर्वक, असहनशीलता दिखाते हुए अन्य नस्ल, राष्ट्रीयता, लिंग, यौन अभिविन्यास, सामाजिक आर्थिक स्थिति, विशेषकर धर्म के व्यक्तियों को नापसंद करता हैं।[1]

इन्हें भी देखें

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  1. मुख्तार अहमद (14 जनवरी 2014). "भारतीय समाज में धर्मांधता के लिए कोर्इ जगह नहीं है". नवभारत टाइम्स. मूल से 21 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 मई 2015.