धारा दर्पण (current mirror) उस विद्युत परिपथ को कहते हैं जिसके किसी एक अवयव में जितनी विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है, उस परिपथ के एक अन्य अवयव में उस धारा के बराबर या उसके कुछ गुना धारा बहती है। उदाहरण के लिये, किसी परिपथ के ट्रांजिस्टर Q1 में १ अम्पीयर धारा जब बहती है तो Q2 में भी 1 अम्पीयर बहती है तथा जब Q1 में 3 अम्पीयर धारा बहायी जाती है तो Q2 में भी 3 अम्पीयर धारा बहने लगती है तो यह परिपथ एक 'धारा दर्पण' की तरह कार्य कर रहा है। किन्तु ध्यान देना चाहिये कि दो अवयव यदि श्रेणीक्रम में जुड़े हों तो भी उन दोनों में हर स्थिति में समान धारा बहेगी, किन्तु इस परिपथ को 'धारा दर्पण' नहीं कहा जाता।

दो बीजेटी से निर्मित एक सरल धारा दर्पण
विल्सन का धारा दर्पण

दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि धारा दर्पण वास्तव में धारा नियंत्रित धारा स्रोत (current-controlled current source (CCCS)) होता है। इलेक्ट्रानिकी में धारा दर्पण के मुख्यतः दो उपयोग हैं-

  • (१) ट्रांजिस्टर आदि को बायस (bias) करने के लिये,
  • (२) ट्रांजिस्टर आदि के लिये सक्रिय लोड (ऐक्टिव लोड) के रूप में।