धार दुर्ग ( धार का किला) मध्य प्रदेश के धार नगर में स्थित है। यह किला नगर के उत्तर में स्थित एक छोटी सी आयताकार पहाड़ी पर बना हुआ है। इस किले को बनाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री इसी छोटे से टीले से ली गई है जिसमें लाल बलुआ पत्थर ,ठोस मुरम व काला पत्थर शामिल है, किले की स्थापत्य शैली हिन्दू, मुस्लिम और अफगान शैली है किले का मुख्य द्वार पश्चिम में बनाया गया था।

धार का किला

धार किला
सामान्य विवरण
प्रकार दुर्ग
स्थान धार, मध्य प्रदेश
उच्चता 60 मी॰ (197 फीट)
स्वामित्व भारतीय पुरातत्त्व एवं सर्वेक्षण विभाग

धार के परमार शासक राजा भोजदेव [1010-1055] के समय इस किले को [[धार गिरी लीलोद्यान]] के नाम से जाना जाता था । अलाउद्दीन खलजी के दिल्ली सिंहासन पर बैठने के कारण इस्लामिक प्रभाव धार में फैलने लगा, जिसके परिणामस्वरूप १३०५ मे अलाउद्दीन खलजी के सेनापति आईनुल मुल्क मुल्तानी ने मालवा पर आक्रमण कर परमार शासक महलकदेव की हत्या कर परमार वंश का अन्त कर दिया उसने द्वार तोड़ कर दुर्ग पर कब्जा कर लिया बाद मे इसी ने किले को पुनर्निर्मित कर दुर्गीकरण का कार्य पूर्ण किया । सन १३४६ मे मुहम्मद विन तुगलक भी देवगिरि जाते समय इस किले मे कुछ समय के लिये रुका । 1857 के विद्रोह के समय धार मध्य भारत के प्रमुख केंद्र के रुप मे रहा, इस किले पर भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने कब्जा कर लिया और जुलाई से अक्टूबर , चार माह तक अपने कब्जे में रखा। [पुनर्निर्माण कर्ता एवम् वर्ष, किले मे पुरातात्विक विभाग द्वारा दी गयी जानकारी पर आधारित है ]

किले के अंदर और भी कई संरचना मौजूद हैं, जो काफी महत्वपूर्ण हैं, जैसे कि खड़बूजा महल, शीश महल । इतिहास में स्पष्ट है कि जहांगीर ने शीश महल बनबाने मे सहायता की थी । दारा शिकोह जो कि शाहजहां का सबसे बड़ा बेटा था, उसने भी औरंगजेब से युध्द के दौरान इस किले में शरण ली थी इसी समय खरबूजा महल, जिसे कस्तूरी तरबूज के आकार के कारण यह नाम मिला है, 16 वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया था।

पवार वंश ने 1732 ईस्वी में इस किले पर कब्जा कर इसे शाही महल के रूप में उपयोग मे लिया। मराठा संघर्ष के दौरान, रघुनाथ राव की पत्नी आनंदी बाई ने यहां आश्रय लिया, और उन्होंने इस स्थान पर पेशवा बाजीराव द्वितीय को जन्म दिया। वैरासिंह परमार ने 10 वीं शताब्दी में धार पर विजय प्राप्त की और अपनी राजधानी बनाई।

आज यह किला खंडहर हो गया है, पर जो भी अवशेष है, वे इसके वैभवशली अतीत के प्रमाण है। किलेबंदी की दीवार उपेक्षा, रखरखाव की कमी, पानी की कमी और पेड़ों और भारी झाड़ियों की वृद्धि के कारण ढह गई थी। लेकिन प्रशासन ने और अधिक गिरावट को नियंत्रित करने के लिए मरम्मत योजनाओं को निष्पादित करना शुरू कर दिया है; एक ही डिजाइन और पैटर्न के साथ नए लकड़ी के दरवाजे के पैनलों को उकेरने की योजना है, किलेबंदी की दीवार को मजबूत किया गया है, चूने के ऊपर रेत पत्थर के पटिया का उपयोग करके प्लस्तर संरक्षण कार्य किया गया है।



दृश्यावलोकन संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

1.http://translate.google.com/translate?client=tmpg&hl=en&langpair=en|hi&u=http%3A//www.madhya-pradesh- tourism.com/heritage/forts/dhar-fort.html

2.http://dhar.nic.in/history.htm

बाहरी सूत्र संपादित करें