धिवर
ढीमर जाति मछुआ समाज की प्रमुख जाति है मध्यप्रदेश में इस जाति का मौजूद होना मध्यप्रदेश शासन ने माना है ढीमर जाति को बर्मन उपनाम से भी पहचाना जाता है मध्यप्रदेश शासन ने ढीमर जाति के प्रमाण पत्र वर्ष 2002 में प्रदान किए हैं मध्यप्रदेश सरकार ने 1992 तक अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति अधिनियम 1976 की धारा 108(2) द्वारा समस्त मांझी जाति लिखने वाले समाज को अनुसूचित जाति /अनुसूचित जनजाति में सम्मिलित किया था। साल 2014 में पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक कल्याण विभाग मंत्रालय ने ढीमर, भोई ,कहार, मल्लाह ,केवट सोधिया, निषाद,रैकवार, बाथम, सिगरहा आदि को पिछड़ा वर्ग है माना गया । इन सभी जाति उपजातियों का कार्य मछली पालन,नाव चलाना, सिंगाड़े की खेती करना, कृषि कार्य, पशुपालन करना है इस जाति उपजाति के लोग भगवान राम को गंगा पार कराने वाले केवट और भगवान श्री राम के प्रिय सखा गुहराज निषाद राज के वंशज माने जाते हैं और उनकी पूजा करते हैं बर्मन जाति
यह लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |