नट हैमसन
नट हैमसन (1859-1952) नार्वे के प्रसिद्ध उपन्यासकार एवं नाटककार थे। 1920 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार विजेता।
नट हैमसन | |
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जन्म | नट पेडर्सन 4 अगस्त 1859 लोम, नार्वे |
मौत | फ़रवरी 19, 1952 ग्रीम्सटड, नार्वे | (उम्र 92 वर्ष)
पेशा | उपन्यासकार एवं नाटककार |
राष्ट्रीयता | नार्वेजियन |
काल | 1877–1949 |
आंदोलन | नव रोमांसवाद नव यथार्थवाद |
खिताब | 1920 ई० में साहित्य में नोबेल पुरस्कार |
जीवनसाथीs | बर्जिलजोट गोप्फर्ट (नी बेक) (1898-1906); मैरी हैमसन (नि०-1909) |
हस्ताक्षर |
जीवन-परिचय
संपादित करेंनट हैमसन का जन्म पूर्वी नार्वे के लोय नामक स्थान पर 4 अगस्त 1859 में हुआ था।[1] इनका पूरा नाम नट पेडरसन हैमसन (Knut Pedersen Hamsun; अन्य उच्चारण- नुत पेदरसन हामज़ुन) था।[2] इनके घराने में कारीगरी का काम हुआ करता था, जिन्हें भारतवर्ष में ठठेरा कहा जाता है। जब हैमसन 4 वर्ष के ही थे तभी उनका परिवार वहाँ का पहाड़ी प्रदेश छोड़कर लोफोडेम द्वीप, नॉर्थलैंड चला गया। वहीं के वन्य दृश्य और मछुआरों के कठोर कार्य को देखते-देखते बालक हैमसन ने युवावस्था प्राप्त की। हैमसन को शिक्षा की तीव्र अभिलाषा थी परंतु उसके पूर्व ही उन्हें जीवन के कठोर यथार्थ का सामना करना पड़ा। उन्हें बोडों में जूते बनाने का काम भी सीखना पड़ा था।[1] इसके बावजूद हैमसन निराश नहीं हुए और पढ़ने-लिखने की ओर बराबर ध्यान रखते रहे। अपने संघर्षपूर्ण जीवन में अमेरिका-निवास के दिनों में हैमसन को घोड़ागाड़ी भी हाँकना पड़ा था।[3] इसके सिवा मजदूरी, मोदी की दुकान पर मुहर्रिर का काम तथा फिर व्याख्यान देने का काम भी उन्होंने किया था। जब उन्हें नोबेल पुरस्कार मिला तो अनेक अमेरिकन पत्रों ने बड़े-बड़े शीर्षक देकर यह समाचार छापा था कि घोड़ा गाड़ी हाँकने वाले को नोबेल पुरस्कार। हलाँकि यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि जब हैमसन घोड़ा गाड़ी चलाते थे तब भी उन की जेब में कविता की कोई न कोई पुस्तक रहती थी।[4] साहित्य के प्रति इसी अटूट अभिरुचि ने उन्हें शिखर तक पहुँचाया।
रचनात्मक परिचय
संपादित करेंहैमसन की पहली रचना एक कविता थी - मीटिंग अगेन - जो सन् 1878 में प्रकाशित हुई थी।[5] 1890 में इनका पहला उपन्यास हंगर (भूख) प्रकाशित हुआ, जिससे इनकी पहचान बननी शुरू हुई। इनकी सर्वाधिक महत्वपूर्ण रचना ग्रोथ ऑफ द साॅयल का प्रकाशन 1917 में हुआ, जिसने इनको यूरोप तथा अमेरिका में प्रसिद्ध कर दिया। इसी रचना पर हैमसन को नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।[5] अमेरिका के विख्यात आलोचक वरसेस्टर ने लिखा है कि ग्रोथ ऑफ द साॅयल हैमसन की सर्वश्रेष्ठ रचना है और यह अमेरिका तथा अन्य देशों में बहुत अधिक पढ़ी गयी है। यद्यपि इसके देश-काल तथा पात्र एकस्थानीय हैं, फिर भी इसका प्रतिपादित विषय सार्वभौम है और समस्त मनुष्य जाति पर लागू होता है।[6]
हैमसन की रचनाओं में जोरदार रूप से तथ्यात्मक चित्रण पाया जाता है। इसके साथ ही उन्होंने जीवन के दार्शनिक पहलू और समाज की अंतर्शक्ति की ओर भी पर्याप्त ध्यान दिया है।
प्रकाशित पुस्तकें
संपादित करें- आधुनिक अमेरिका का आध्यात्मिक जीवन (The Spiritual Life of Modern America) -1889
- कहानी संग्रह-
- संघर्षमय जीवन
- ब्रशवुड -1903
- उपन्यास-
- हंगर-1890 (हिन्दी अनुवाद- भूख, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
- न्यू साॅयल (नयी भूमि) -1890
- मिस्ट्रीज -1892
- रिडेक्टर लिंज (एडीटर लिंज) -1893
- पैन -1894(हिन्दी अनुवाद- पान, वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली से प्रकाशित)
- विक्टोरिया -1898
- आवारा (Wanderer) -1909
- चिल्ड्रेन ऑफ द एज (समय की संतान) -1909(मूल), 1913(अंग्रेजी)
- सेगेल्फास टाउन -1915
- ग्रोथ ऑफ द साॅयल -1917
- द वूमेन ऐट द पम्प -1920
- द लास्ट चैप्टर -1923
- द रिंग इज क्लोज्ड -1936
- नाटक-
- साम्राज्य के द्वार पर (At the Gate of the Kingdom) -1895
- जीवन का खेल -1896
- सनसेट (सूर्यास्त)
- मनकेन वेण्ट (Munken Vendt) [नाटकीय कविता]-1902
- जीवन के चंगुल में (In the Grip of Life) -1910
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ अ आ नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, राजबहादुर सिंह, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2007, पृ०-88.
- ↑ हिंदी विश्वकोश, खंड-6, नागरी प्रचारिणी सभा, वाराणसी, संस्करण-1966, पृष्ठ-450.
- ↑ नोबेल पुरस्कार कोश, सं०-विश्वमित्र शर्मा, राजपाल एंड सन्ज़, नयी दिल्ली, संस्करण-2002, पृ०-231.
- ↑ नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, पूर्ववत्, पृ०-89.
- ↑ अ आ नोबेल पुरस्कार विजेताओं की 51 कहानियाँ, संपादक- सुरेंद्र तिवारी, आर्य प्रकाशन मंडल, दिल्ली, संस्करण-2013, पृ०-
- ↑ नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार, पूर्ववत्, पृ०-90.