नबकृष्ण देब
नबकृष्ण देब, जिन्हें राजा नबकृष्ण देब के नाम से भी जाना जाता है (10 अक्टूबर, 1833 - 22 दिसंबर, 1896), शोभाबाजार शाही परिवार के संस्थापक थे। 1856 में, उन्होंने और रॉबर्ट क्लाइव [1] ने कलकत्ता के नवनिर्मित शोभाबाजार राजबाड़ी में पहली दुर्गा पूजा की शुरुवात की थी, जो कलकत्ता शहर की सबसे पुरानी दुर्गा पूजा है। [2] उन्होंने कई कलाकारों और समाज के विभिन्न वर्गों के विकास में योगदान दिया है।
राजा नबकृष्ण देब | |
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जन्म |
10 अक्टूबर, 1833 |
मौत |
22 दिसंबर, 1896 कोलकाता,ब्रिटिश भारत |
पेशा | राजा |
जीवनी
संपादित करेंनवकृष्ण देव का जन्म 10 अक्टूबर 1833 को हुआ था। उनके पिता रामचरण देव थे। कम उम्र में अपने पिता की मृत्यु के बाद, उन्होंने अपनी माँ की देखरेख में उर्दू, फ्रेंच,अरबी और अंग्रेजी भाषाओं का अध्ययन किया।
प्रभाव
संपादित करेंदुर्गा पूजा
संपादित करें1757 में प्लासी की लड़ाई में जीत के बाद, राजा नवकृष्ण ने शोभाबाजार के महल में लॉर्ड क्लाइव के सम्मान में दुर्गा पूजा की। तब से हर साल शोभाबाजार राजबाड़ी में दुर्गा पूजा का आयोजन किया जाता है।
मृत्यु
संपादित करें22 दिसंबर 1897 को, नवकृष्ण जब अपने घर में सोफे पर लेटे थे तब अचानक उनकी मृत्यु हो गई।