नमाज़ के औक़ात
नमाज़ के औक़ात (नमाज़ के वक़्त या समय, उर्दू: اوقات نماز) इस्लाम की पांच अनिवार्य दैनिक प्रार्थनाऐं (नमाज़)[1] और दूसरे प्रकार की नमाज़ों को समय पर पढ़ना ज़रूरी होता है। सभी नमाजों के समय कुछ घटता बढ़ता रहता है।
क़ुरआन में 5 अनिवार्य और एक स्वैच्छिक नमाज़ तहज्जुद पढ़ने का आदेश के साथ समय भी बताया गया है। अधिक जानकारी हदीस से मिलती है। नमाज़ का सही समय जानने के लिए औकाते नमाज़ नाम का पोस्टर मस्जिदों में होता है, जिसमे क़ुरआन और हदीस की रोशनी में पूरे वर्ष का क्षेत्र के अनुसार नमाज़ के समय होते हैं। नमाज़ की जंत्री, नक़्शा और छोटी पुस्तक के रूप में भी मिलती हैं। आस्थावान इन्हें घर या साथ में रखते हैं, समय जानने के लिए आजकल गूगल का भी इस्तेमाल करते हैं।
क़ुरआन में समय की पाबंदी का आदेश
संपादित करेंनिस्संदेह ईमानवालों पर समय की पाबन्दी के साथ नमाज़ पढना अनिवार्य है (क़ुरआन 4:103)[2]
नमाजों का समय
संपादित करेंफज्र की नमाज
संपादित करेंनमाज़ क़ायम करो सूर्य के ढलने से लेकर रात के छा जाने तक और फ़ज्र (प्रभात) के क़ुरआन (अर्थात फ़ज्र की नमाज़ः के पाबन्द रहो। निश्चय ही फ़ज्र का क़ुरआन पढ़ना हुज़ूरी की चीज़ है (क़ुरआन -17:78)
और सुब्ह (फज्र) की नमाज़ [3]का वक़्त फज़्र के उगने से लेकर सूर्य के उगने तक रहता है, जब सूर्य उग जाये तो नमाज़ से रूक जाओ क्योंकि यह शैतान की दो सींगों के बीच उगता है।" इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है (हदीस संख्या : 612)
तैयारी के लिए अज़ान लगभग एक घंंटे पहले दी जाती है।
जुहर की नमाज
संपादित करें"और उसी के लिए प्रशंसा है आकाशों और धरती में - और पिछले पहर और जब तुम पर दोपहर हो" (क़ुरआन 30:18) "नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने नमाज़ के समय का उल्लेख अपने इस कथन के द्वारा किया है : "ज़ुहर की नमाज़ का वक़्त उस समय है जब सूर्य ढल जाये और (उस वक़्त तक रहता है जब) आदमी की छाया उसकी लंबाई के बराबर हो जाये जब तक कि अस्र की नमाज़ का वक्त न आ जाये" (सही मुस्लिम , हदीस संख्या : 612)
सूर्यास्त के बाद शुरू होता है और तब तक रहता है जब तक कि दोपहर के समय हर चीज़ की छाया दोगुनी हो जाती है। शहरों में अधिकतर कार्यालयों की छुट्टी के समय दोपहर 1 से 2 बजे के बीच पढ़ते हैं। तैयारी के लिए अज़ान लगभग आधा घंटे पहले दी जाती है। जुमे के दिन इस की बजाए जुमे की नमाज़ पढ़ी जाती है
क़ुरआन और हदीस में अस्र की नमाज का समय
संपादित करेंअतः अब अल्लाह की तसबीह करो, जबकि तुम शाम करो और जब सुबह करो। (क़ुरआन 30:17)
अस्र की नमाज़ का वक़्त उस समय तक है जब तक कि सूर्य पीला न हो जाये (सही मुस्लिम , हदीस संख्या : 612)
"जिस ने सूरज डूबने से पहले अस्र की एक रक्अत पा ली तो उस ने अस्र की नमाज़ पा ली।" इसे बुखारी (हदीस संख्या : 579) और मुस्लिम (हदीस संख्या : 608) ने रिवायत किया है।
तैयारी के लिए अज़ान लगभग 15 मिनट पहले दी जाती है।
मगरिब की नमाज
संपादित करेंऔर नमाज़ क़ायम करो दिन के दोनों सिरों पर और रात के कुछ हिस्से में। निस्संदेह नेकियाँ बुराइयों को दूर कर देती है। यह याद रखनेवालों के लिए एक अनुस्मरण है। (क़ुरआन 11:114) और मग्रिब की नमाज़ का वक़्त उस समय तक रहता है जब तक कि शफक़ (उषा अर्थात सूर्य डूबने के बाद पश्चिम में छितिज की लाली) समाप्त न हो जाये (सही मुस्लिम , हदीस संख्या : 612)
तैयारी के लिए अज़ान और नमाज़ में कोई अंतराल नहीं, फोरन पढ़ना बहतर माना जाता है।
ईशा की नमाज
संपादित करेंईशा की नमाज़ बड़ी रातों में सूर्यास्त के बाद मग़रिब की नमाज़ के लगभग डेढ़ घंटे बाद और छोटी रातों में तकरीबन डेढ़ घंटे बाद शुरू होती है।
अतः जो कुछ वे कहते है उसपर धैर्य से काम लो और अपने रब का गुणगान करो, सूर्योदय से पहले और उसके डूबने से पहले, और रात की घड़ियों में भी तसबीह करो, और दिन के किनारों पर भी, ताकि तुम राज़ी हो जाओ (क़ुरआन 20:130)
और नमाज़ क़ायम करो दिन के दोनों सिरों पर और रात के कुछ हिस्से में। निस्संदेह नेकियाँ बुराइयों को दूर कर देती है। यह याद रखनेवालों के लिए एक अनुस्मरण है। (क़ुरआन 11:114)
"और इशा की नमाज़ का वक़्त आधी रात तक रहता है"
इसे मुस्लिम ने रिवायत किया है (हदीस संख्या : 612)
तैयारी के लिए अज़ान लगभग 30 मिनट पहले दी जाती है।
तहज्जुद की नमाज़
संपादित करेंऔर रात के कुछ हिस्से में उस (क़ुरआन) के द्वारा जागरण किया करो, यह तुम्हारे लिए तद्अधिक (नफ़्ल) है। आशा है कि तुम्हारा रब तुम्हें उठाए ऐसा उठाना जो प्रशंसित हो (क़ुरआन 17:79)
जुहा नमाज़ (इशराक,चाश्त,अवाबीन) पढ़ने का समय
संपादित करेंजुहा नमाज़ का समय सूर्योदय के लगभग बीस मिनट बाद शुरू होता है तब इसे इशराक की नमाज़ कहेंगे एक घंटे बाद पढ़ेंगे तो यह नमाज़ ए चाश्त हो जाएगी ढाई घंटे बाद और गयारह बजे से पहले पढ़ेंगे तो नमाज़ अवाबीन हो जाएगी।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ नसीम, ग़ाज़ी. नमाज़. दिल्ली: मधुर संदेस, संगम, दिल्ली, 110025. पपृ॰ https://archive.org/details/namaz-in-Hindi-nasim-ghazi.
- ↑ "क़ुरआन 4:103". http://tanzil.net/. मूल से 25 अप्रैल 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 मई 2020.
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में बाहरी कड़ी (मदद) - ↑ Sheikh, Irfan. "Aurton Ki Namaz Ka Tarika In Hindi मुकम्मल Sunni Tareeqa". Irfani-Islam - इस्लाम की पूरी मालूमात हिन्दी. अभिगमन तिथि 2021-12-12.