नरवर्मन परमार (1097-1134) मालवा के परमार वंशीय शासकों में से एक है। यह अर्णोराज चव्हाण के समकालिन शासन माने जाते हैं। अर्णोराज और नरवर्मन परमार में युध्द भी हुए जिसमें नरवर्मन को अंत में पराजय का सामना करना पड़ा। नरवर्मन बहुत शक्तिशाली शासक था। अर्णोराज द्वारा नरवर्मन को परास्त करना उसकी बहोत बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। नरवर्मन परमार के समय के प्राप्त प्रशस्ति पत्रों के अनुसार ज्ञात होता है कि नरवर्मन की अपने समय में बहुत ही सन्मान जनक स्थिति रही हैं। मालवा नरेश नरवर्मन परमार को "निश्वान नारायण" नाम से भी जाना जाता था। कुछ ऐतिहासिक अभिलेखों के अनुसार "जयश्री नरवर्म्म" भी लिखा है, जिसके अनुसार कुछ इतिहासकार मानते हैं कि नरवर्मन की पराजय नहीं हुई थी। परमार नरेश नरवर्मन के महाकाल अभिलेख से ज्ञात होता है कि उसने उज्जयिनी में शिव मन्दिर का निर्माण करवाया था।[1] [2][3]

संदर्भ संपादित करें

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अक्तूबर 2019.
  2. चाहमान प्रशस्ति (अजमेर म्यूजियम)
  3. https://books.google.co.in/books?id=ARabDwAAQBAJ&pg=PA218&lpg=PA218&dq=%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A8+%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0&source=bl&ots=I4dA-CDLsf&sig=ACfU3U3hds2iPwQQMFMUPNBsUvdUCdjeVg&hl=hi&sa=X&ved=2ahUKEwjV-ZHmmK3lAhUzheYKHUXECO8Q6AEwCHoECAUQAQ