नरहड गांव झुंझुनु जिले मैं स्थित है नरहर में पीर बाबा की दरगाह है, नरहर पर मुस्लिमों व नेहरा जाटो का राज रह चुका है,

अब इस गांव में गढ़वाल,रणवा व धायल तीन जाट गोत्रो का आधिक्य है , यह जाट बाहुल्य गांव है। नरहड़ कस्बे में स्थित पवित्र हाजीब शक्करबार शाह की दरगाह कौमी एकता की जीवन्त मिसाल है। इस दरगाह की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां सभी धर्मों के लोगों को अपनी-अपनी धार्मिक पद्धति से पूजा अर्चना करने का अधिकार है। कौमी एकता के प्रतीक के रूप में ही यहां प्राचीन काल से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर विशाल मेला लगता है। जिसमें देश के विभिन्न हिस्सों से हिन्दुओं के साथ मुसलमान भी पूरी श्रद्धा से शामिल होते हैं।

नरहड ग्राम जिला झुंझनू की पहचान सारस्वत ब्राह्मणों से भी है, प्राचीन समय में इस गांव में 500के करीब सारस्वत ब्राह्मण (लव ओझा)गौतम गोत्र परिवार रहते थे,जो समय के साथ देश भर में जाकर बस गये,जिनके पूर्वज इसी नरहड ग्राम के वासी थे,

नरहड ग्राम को "सती माता के स्थल के रूप में भी जाना जाता यहां खेड़ला रोड स्थित श्मशान भूमि में सारस्वत ब्राह्मण गौतम गोत्र परिवार की बेटी का प्राचीन "सती शक्ति स्थल भी मौजूद है, जिन्हें कुंवारी सती माता के रूप में पूजा जाता है,


यहां खेड़ला रोड स्थित श्मशान भूमि में इन्हीं सारस्वत ब्राह्मण परिवार की बेटी का" कुंवारी सती" रूप में प्राचीन शक्ति स्थल (मठ) मौजूद हैं, कुंवारी सती माता का जन्म 17वीं से 18वीं सदी के बीच सारस्वत ब्राह्मण गौतम गोत्र परिवार में हुआ था,घर में माता के विवाह का आयोजन चल रहा था ,बारात दरवाजे पर पहुचने और द्वार चार के ठीक पहले अकस्मात दूल्हे की घोड़ी पलटने से दूल्हे की वहीं मृत्यु हो गई, मृत्यु का दुखद समाचार सुनकर माता द्वारा सतीत्व प्राप्त करने का निर्णय लिया गया, जहां माता ने उन्हें गोद में लेकर चिता की वेदी पर सतीत्व प्राप्त किया, यहां मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य जारी है,