नागदा, उदयपुर
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नागदा (Nagda) भारत के राजस्थान राज्य के उदयपुर ज़िले की गिरवा तहसील में स्थित एक गाँव है।[1][2]
नागदा Nagda | |
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सहस्त्रबाहु मन्दिर, नागदा | |
निर्देशांक: 24°43′37″N 73°43′48″E / 24.727°N 73.730°Eनिर्देशांक: 24°43′37″N 73°43′48″E / 24.727°N 73.730°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | राजस्थान |
ज़िला | उदयपुर ज़िला |
तहसील | गिरवा तहसील |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 237 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, मेवाड़ी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 313024 |
विवरण
संपादित करेंनागदा मेवाड़ के उदयपुर (राजस्थान) से 30 किलोमीटर दूर एकलिंगजी के पास स्थित एक गांव है जहां पंचयतन शैली में सहस्त्र बाहु मंदिर है। नागदा का प्राचीन शहर कभी रावल नागादित्यए की राजधानी थी। वर्तमान में यह एक छोटा सा गांव है। यह गांव 11वीं शताब्दीक में बने 'सास-बहू' मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का मूल नाम 'सहस्त्रहबाहु' था जोकि यह नाम विकृत होकर सास-बहू हो गया है। यह एक छोटा सा मंदिर है। लेकिन मंदिर की वास्तुशैली काफी आकर्षक है।
मालवा के परमार नरेशों के अभिलेखों में नागदा का प्राचीन नाम नागह्रद मिलता है। नागदा पर किये गये उत्खनन में प्रारंभिक लौह संस्कृति के प्रमाण मिले हैं। नागदा से दस प्रकार के लोह उपकरण मिले हैं। जिनमें दुधारी, कटार, कुल्हाड़ी का मूँठ, चम्मच, चिमटी, कुल्हाड़ी, छल्ला, बाणाग्र, चाकू और हँसिया उल्लेखनीय हैं। नागदा और एरण के उत्खननों एवं अन्य स्थलों की खुदाई के आधार पर उस पुराने मत को औचित्यपूर्ण नहीं माना गया है, जिनमें इन पुरा स्थलों पर ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति के तत्काल बाद ऐतिहासिक युग की संस्कृति का प्रारम्भ माना जाता है। अब यह तथ्य संस्थापित हुआ है कि इन पुरा स्थलों पर भी, जहाँ पर संस्कृति के सातत्य की बात कही गयी थी, ऐसे प्रमाण मिलते हैं, जिनसे यह स्पष्ट हो जाता है कि ताम्रपाषाणिक संस्कृति की परिसमाप्ति और प्रारम्भिक ऐतिहासिक युगीन संस्कृति के बीच में अनेक वर्षों का अंतराल रहा होगा।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Lonely Planet Rajasthan, Delhi & Agra," Michael Benanav, Abigail Blasi, Lindsay Brown, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787012332
- ↑ "Berlitz Pocket Guide Rajasthan," Insight Guides, Apa Publications (UK) Limited, 2019, ISBN 9781785731990