नागरी लिपि परिषद्
नागरी लिपि परिषद् नई दिल्ली में स्थित एक नागरी लिपि के प्रचार और उपयोगिता को लोगों को बताने के लिए बनी एक परिषद है। जिसकी स्थापना वर्ष १९७५ में की गई थी।[1][2]
स्थापना
संपादित करेंविनोबा भावे के सत्प्रयासों से सन् १९७५ में नागरी लिपि परिषद्, नई दिल्ली की स्थापना हुई।
उद्देश्य
संपादित करेंइस संस्था का मुख्य उद्देश्य है - भारतीय भाषाओं को एक सूत्र में बाँधने हेतु नागरी का संपर्क लिपि के रूप में विकास करना। नागरी लिपि की उपयोगिता और उसकी सरलता की ओर लोगों का ध्यान आकृष्ट करना। परिषद् इस बात पर भी जोर देती है कि बोलियों और प्रादेशिक भाषाओं की प्रस्तुति नागरी लिपि के माध्यम से हो। भारतीय भाषाओं और विदेशी भाषाओं को नागरी के माध्यम से सिखाने के लिए परिषद् ने अनेक पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं। इसके अतिरिक्त परिषद् द्वारा कई राष्ट्रीय स्तर के सम्मेलन भी आयोजित किये हैं।
प्रकाशित पत्रिका
संपादित करेंनागरी संगम, (त्रैमासिक)
प्रधान संपादक : डॉ॰ परमानन्द पांचाल
पता : नागरी लिपि परिषद्, १९, गांधी स्मारक निधि, राजघाट, नई दिल्ली-११०००२
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "दिल्ली - केंद्रीय हिंदी निदेशालय". केंद्रीय हिंदी निदेशालय. मूल से 24 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 नवम्बर 2016.
- ↑ भाटिया, कैलाश चन्द्र (1 जनवरी 2009). हिन्दी भाषा : विकास और स्वरूप. प्रभात प्रकाशन. पृ॰ 231. मूल से 24 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 नवम्बर 2016.
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