नागानन्द (नागों का आनन्द) राजा हर्षवर्धन (606 C.E. - 648 C.E.) द्वारा रचित संस्कृत नाटक है। यह संस्कृत के सर्वश्रेष्ठ नाटकों में से है।

यह नाटक पाँच अंकों में है। इसमें गरुड़ देवता को खुश करने के लिये नागों की बलि देने को रोकने के लिये राजकुमार जिमुतवाहन द्वारा अपना शरीर त्याग की कहानी है।

बाहरी कड़ियाँ संपादित करें

  • Nagananda - Translated by Palmer Boydहष ने स्वयं भी उच्चकोटि का लेखक था,जिसने तीन नाटको 'रत्नावली','पिर्यदर्शिका और 'नागानन्द' की रचना की।