नाज़ी पार्टी

जर्मन राजनेतिक पार्टी (1920-1945)

नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी (जर्मन : Nationalsozialistische Deutsche Arbeiterpartei- नेशनलसोआलिस्टिसिच डॉयचे आर्बिटरपतेई ), या नाजी पार्टी/ नात्सी पार्टी जर्मनी में 1920 से 1945 तक एक राजनीतिक पार्टी थी। प्रथम विश्व युद्ध के बाद, यह पार्टी जर्मनी में नस्लवाद और कम्युनिस्ट विरोधी आंदोलन में निहित थी।

नात्सी पार्टी का लोगो

यह 1920 में स्थापित हुई, और 1921 में एडॉल्फ हिटलर ने इस पार्टी का नियंत्रण सम्भाल लिया। पहला विश्व युद्ध के बाद जर्मनी की बेरोजगारी, हीनता और यहूदी - विरोधी भावनाएँ उफान पर आ रहीं थीं, जिनपर राजनीति करके 1930 तक नाजी पार्टी जर्मनी में एक प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई। 1933 में हिटलर को जर्मन चांसलर घोषित किया गया। इसके बाद, हिटलर और उसके नाजी समर्थकों ने जर्मनी में अन्य सभी राजनीतिक दलों को बर्खास्त कर दिया और राजनीतिक विरोधियों को जेल भेज दिया या उन्हें मार डाला। उसी वर्ष वाइमर गणराज्य का विलय करके नाजी जर्मनी का गठन हुआ और इस राष्ट्र का पूरा क़ब्ज़ा नाजी पार्टी के हाथों में आ गया। पार्टी ने जर्मनी की बेहद ख़राब आर्थिक हालत को कुछ ही वर्षों में सुधार दिया, किंतु इसके चलते सरकार क़र्ज़ के बोझ तले दब गई।

जर्मनी में रहने वाले वे सभी लोग जिन्हें पार्टी अवांछनीय मानती थी, इसकी ज़्यादतियों का शिकार हुए। फासीवादी कानूनों के दाम पर पार्टी ने ज़्यादातर यहूदियों और साथ ही विकलांग, समलैंगिक, काले, मानसिक रूप से विकलांग, आदि लोगों का दमन किया। इस घटना को होलोकॉस्ट के रूप में जाना जाता है, जिसमें 60 लाख लोगों का नरसंहार किया गया था। इसकी वजह से यूरोप के क़रीब 70% यहूदियों ने अपनी जान गँवाई।

द्वितीय विश्व युद्ध में नाजी जर्मनी की पराजय के बाद नाजी पार्टी को भंग कर दिया गया था।

नाजी पार्टी मार्क्सवाद, लोकतंत्र, औद्योगिकीकरण आदि का पूरी तरह विरोध करती थी। इसके राजनीतिक विशेषज्ञ तानाशाही में विश्वास करते थे।