नादबिन्दुपनिषद
प्राचीन हिन्दू ग्रंथ
नादबिन्दुपनिषद ॠग्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। इस उपनिषद् में नाद के अनुसन्धान को दर्शाया गया है इसलिए इसे नादबिन्दुपनिषद् कहा जाता है। इस उपनिषद् के प्रारम्भ में 'ॐकार' को हंस का रूप मानकर उसके विभिन्न अंगोपांगों का वर्णन किया गया है। इसके पश्चात् ॐकार की 12 मात्राओं का वर्णन किया गया है। ॐकार की मात्राओं का वर्णन करने के बाद उन मात्राओं के साथ प्राणों के विनियोग का फल बताया गया है। तत्पश्चात् योगयुक्त साधक की स्थिति तथा ज्ञानी के प्रारब्ध कर्मों के क्षय का वर्णन करते हुए नाद के अनेक प्रकार तथा नादानुसंधान साधना का स्वरूप समझाया गया है। उपनिषद् के अंत में मन के प्रभावित होने, मन के लय होने तथा मनोलय की स्थिति का वर्णन किया गया है।