नादिया शफी जम्मू-कश्मीर की एक विडियो रिपोर्टर हैं, जोकि अपने कैमरे की मदद से कश्मीर की औरतों की कहानियों को उजागर करती हैं | श्रीनगर की रहने वाली 29 वर्षीय नादिया एक ऐसे समाज में लैंगिक समानता लाने का प्रयास कर रही हैं, जो न सिर्फ पितृसत्ता से, बल्कि सशस्त्र संघर्ष से भी ग्रसित है |

2018 में उनको ‘सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति’ की श्रेणी में महिला सशक्तिकरण में उत्कृष्टता के लिए, मार्था फैरल पुरस्कार मिला । ये अवार्ड 2016 में प्रिया, रिज़वान अदातिया फाउंडेशन और मर्था फैरेल फाउंडेशन के द्वारा स्थापित किया गया था । ये अवार्ड साल में एक बार ऐसे व्यक्तियों और संस्थाओं को दिया जाता है, जिनका महिला सशक्तीकरण और लैंगिक बराबरी में महत्वपूर्ण योगदान है । [1]

कश्मीर यूनिवर्सिटी से सामाजिक कार्य में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद, नादिया 2014 में विडियो वालंटियर्स (Video Volunteers) के साथ ‘कश्मीर अनहर्ड प्रोजेक्ट’ पर काम करना शुरू किया | नादिया ने उनके साथ कम्युनिटी संवाददाता बनकर काम करने के साथ ही, कश्मीर के अन्य कम्युनिटी संवाददाताओं के लिए मार्गदर्शक का काम भी किया |

नादिया विडियो रिपोर्टर के रूप में काम करते हुए इस बात को उजागर करती हैं कि कैसे संघर्ष झेल रहे समाज में, हिंसा की वजह से, जेंडर के ढांचों पर भी असर होता है, जो महिलाओं और लड़कियों को प्रभावित करता है । कश्मीर में आदमियों का गायब हो जाना बड़ी समस्या है और हजारों आदमी अभी भी गायब हैं | ऐसे में नादिया उन महिलाओं पर ध्यान देती हैं, जो अकेली रह गयीं है और इस पुरुषवादी समाज में खुद का गुजारा करने को मजबूर हैं | नादिया ने ऐसी महिलाओं के साथ काम किया, जिनके पति कश्मीरी संघर्ष की वजह से लापता हैं । इन्हे आम तौर पर 'आधी विधवाओं' के नाम से भी जाना जाता है । नादिया ने ऐसी 100 महिलाओं का इंटरव्यू लिया है और उनकी दैनिक परेशानियों को कैमरे में कैद किया है | 2016 के कश्मीर उपद्रव के दौरान नदिया ने अपने स्कूटर और कैमरे की मदद से वहां हो रही हिंसा, सरकार की विफलता और इन सबसे प्रभावित होने वाले लोगों के बारे में जानकारी इकठ्ठा की । 2017 में जब वो कश्मीर संघर्ष से प्रभावित महिलाओं पर केस स्टडी कर रहीं थी तो एनडीटीवी न्यूज़ चैनेल ने उन्हें कवर किया | उनकी रिपोर्ट्स में कश्मीरी समाज में फैली घरेलु हिंसा और यौन हिंसा की घटनाएं भी सामने आईं | [2]

नादिया के विडियो में 'आधी विधवाओं’ से लेकर कश्मीर में किन्नरों की स्थिति जैसे मुद्दे होते हैं | साथ ही वह ‘खेल बदल’ नाम से श्रीनगर में कार्यक्रम चलाती हैं | समाज से पुरुश्वाद के खात्मे के लिए ‘खेल बदल’ कार्यक्रम में लड़के और लड़कियों दोनों को शामिल किया जाता है | इस कार्यक्रम में लैंगिक आधार पर होने वाले भेदभावों पर चर्चा होती हैं | अपने क्लब के जरिए नादिया ने लिंग, यौनिकता और धर्म के पहलुओं पर चर्चा करने के लिए कश्मीर में एक सुरक्षित वातावरण तैयार किया है | इन चर्चाओं में 100 से अधिक लोग आते हैं, जिसमे छात्र, मजदूर, गृहणी, किसान और कलाकार होते हैं | [3]

  1. http://ddnews.gov.in/people/srinagars%C2%A0nadiya-shafi%C2%A0wins%C2%A0martha-farrell-award
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 मई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 मार्च 2019.
  3. https://www.shethepeople.tv/news/video-reporter-nadiya-shafi-martha-farrell-award