थल सेना में नायब सूबेदार रैंक का अधिकारी जूनियर कामिसन अधिकारी रहता हे यह अधिकारी धर्म शिक्षक के रूप में कार्य करता हे यह सेना में धार्मिक ग्रंथों के जरिए आत्मविश्वास का प्रचार करते हैं। विभिन्न रेजीमेंटल,यूनिटों की धार्मिक संस्थाओं में विभिन्न अनुष्ठान कराते हैं। इसके अलावा इनके कार्यों में आफिसर्स, सैनिकों और उनके परिवारों को धार्मिक प्रवचन देना, अस्पताल में सैन्य रोगियों व उनके परिजनों को धार्मिक उपदेश देना, स्वास्थ्य लाभ कर रहे रोगियों के बीच धर्म ग्रंथों का पाठ करना, दंड भुगत रहे सैनिकों को सुधारात्मक और भावनात्मक उपदेश देना, बच्चों और सेना में भर्ती किये गये किशोरों को विशेष धार्मिक शिक्षाएं देना, सैन्य कर्मियों व परिजनों का अंतिम संस्कार करवाना, युद्ध में घायल सैनिकों के मनोबल को बनाये रखने के लिए प्रेरणाप्रद और मनोबलयुक्त धार्मिक शिक्षा देना आदि शामिल है।सेना में धर्म शिक्षक बनने के लिए उम्र २७ वर्ष से कम और ३४ वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए। अभ्यर्थी को किसी भी विषय में मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक के अलावा धर्म से संबंधित भी योग्यताएं होनी चाहिए। मसलन, पंडित के लिए संस्कृत में मध्यमा या हिन्दी में भूषण परीक्षा अथवा संबद्ध क्षेत्रीय भाषा में कोई परीक्षा उत्तीर्ण की होनी चाहिए। बीए परीक्षा ऐच्छिक (मुख्य) विषय के रुप में संस्कृत, हिन्दी विषय के साथ उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी भी इस पद के लिए अर्ह होते हैं। जबकि ग्रंथी के लिए पंजाबी की विद्वान परीक्षा अथवा समकक्ष कोई परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले अथवा बीए परीक्षा एच्छिक (मुख्य) विषय के रुप में पंजाबी विषय के साथ उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी भी आवेदन कर सकते हैं। बौद्ध व पादरी पद पर भर्ती के लिए बौद्ध भिक्षु की विधिवत दीक्षा ली हो और बारहवीं परीक्षा उत्तीर्ण हो। इसी तरह पादरी के लिए ऐसा व्यक्ति पात्र होता है जो किसी मान्य गिरजाघर के पादरी द्वारा नियुक्त हो। मौलवी पद के लिए भी निर्धारित योग्यताएं वह होनी चाहिए जो एक मौलवी बनने के लिए जरूरी हैं। इन सब योग्यताओं के अलावा उम्मीदवार को सांस्कृतिक रुप से भी स्वीकार्य होना चाहिए। अर्थात वह ऐसा पुरोहित हो जो सभी जातियों व वर्गों में मान्य हो।

नायब सूबेदार की रैंक

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धर्म शिक्षक का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लेने पर रंगरूट को नायब सूबेदार की रैंक देकर धर्म शिक्षक के रुप में कमीशन दे दिया जाता है। जूनियर कमीशन आफीसर को कम से कम दस वर्ष नौकरी पूर कर लेने पर सूबेदार,रिसालदार के पद पर तरक्की दे दी जाती है। धर्म शिक्षक के सेवानिवृत्ति की उम्र ५५ वर्ष होती है। एक सूबेदार मेजर चार वर्ष तक इस पद पर काम करने या 55 वर्ष की उम्र पूरी होने पर सेवानिवृत्त कर दिया जाता है।