नारीवादी आंदोलन की तीसरी लहर

'नारीवाद की तीसरी लहर एक नारीवादी आंदोलन है जिसकी शुरुआत 1990 के दशक में हुई। इसका एक्स-पीढी के लोगों ने किया था। एक्स पीढ़ी के लोग 1960 और 1970 के दशक में जन्मे थे। इस पीढ़ी के लोग मीडिया-संतृप्त, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से विविध परिवेश में बड़े हुए। उन्होंने पहली एवं दूसरी लहर के नारीवादियों द्वारा प्राप्त कानूनी अधिकारों और सुरक्षा के बारे में जानकारी इकट्ठा की और इस लहर के लिए काम करना आरंभ किया। उन्होंने पदों की भी आलोचना की और उन्हें लगा कि यह दूसरी लहर के नारीवाद का अधूरा काम है। महिला अधिकार कार्यकर्ता एक ऐसे आंदोलन की चाहत रखते थे जो उनके वर्तमान संघर्षों को संबोधित करते हुए उनके पूर्ववर्तियों के काम को जारी रखे। इसके अलावा ये महिलाएं एक मुख्यधारा का आंदोलन बनाना चाहती थीं जिसमें विभिन्न नस्लों, वर्गों और लिंग पहचान वाली महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली विभिन्न चुनौतियाँ शामिल हों।[1]

तीसरी लहर और दूसरी लहर की महिलाओं द्वारा हासिल की गई अधिक आर्थिक और पेशेवर शक्ति और स्थिति के कारण यह आंदोलन सफल हो पाया।

इस लहर की नीव रखने के लिए दूसरी लहर की कुछ वृद्ध और अनुभवी महिलाओं ने मदद की। इन महिलाओं द्वारा नए दृष्टिकोण, नए विचारों, गंभीर समयाओं को उजागर किया गया। थर्ड वेव डायरेक्ट एक्शन कॉरपोरेशन (1992 में आयोजित) 1997 में बनाथर्ड वेव फाउंडेशन, "लिंग, नस्लीय, आर्थिक और सामाजिक न्याय की दिशा में काम करने वाले समूहों और व्यक्तियों" का समर्थन करने के लिए स्थापित की गई।[2]

  1. "नारीवाद की तीसरी लहर". Britannica. अभिगमन तिथि 13 फरवरी 2024.
  2. "नारीवाद: तीसरी लहर". Women History. अभिगमन तिथि 13 फरवरी 2024.