मुक्त स्रोत अथवा ओपन सोर्स ऐसे सॉफ्टवेयर को कहा जाता है जिसका स्रोत कूट (सोर्स कोड) सभी के लिये खुला हो। मुक्तस्रोत सॉफ्टवेयर का कोड निशुल्क उपलब्ध कराया जात है और इसे कोई भी व्यक्ति परिवर्तित-परिवर्धित-संशोधित कर उसके विकास में योगदान दे सकता है या स्वयं अपने काम में इसका निःशुल्क उपयोग कर सकता है। स्रोत कोड के अलावा इन सॉफ्टवेयरों के बाइनरी कोड भी उपलब्ध कराए जाते हैं जो विभिन्न ऑपरेटिंग तन्त्रों पर चलने के लिए कम्पाइल किए गए होते हैं।

लाइनक्स मिन्ट के स्क्रीन का दृष्य जिसमें मोजिला फाय्रफॉक्स ब्राउजर में विकिपीडिया चल रहा है और साथ में एक कैलकुलेटर प्रोग्राम, एक कैलेण्डर, 'विम' नामक टेक्स्ट एडिटर, जिम्प (GIMP) तथा वीएलसी मिडिया प्लेयर चल रहे हैं - अर्थात् सब के सब काम मुक्तस्रोत से हो रहे हैं।
'मुक्ति' के विविध पक्ष

ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर का बौद्धिक सम्पदा अधिकार से अलग तरह का सम्बन्ध है। हो सकता है कि भविष्य में, सूचना प्रोद्योगिकी की दिशा इसी पर निर्भर करे।

ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के बारे में गलतफहमी

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मुक्तस्रोत पहल (ओपेन सोर्स इनिशिएटिव) का प्रतीक चिह्न

आप यह भी न सोंचे कि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर केवल कम्प्यूटर वैज्ञानिकों के लिये है पर आम व्यक्ति के लिये नहीं है। यह कुछ साल पहले ठीक हो सकता था, पर आज नहीं। मैं कोई कम्प्यूटर वैज्ञानिक नहीं हूं पर मेरे कम्प्यूटर में कोई भी मालिकाना (Proprietary) सॉफ्टवेयर नहीं है। आज की तारीख में ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर में औफिस में होने वाले सारे कार्य करना, लिखना, इन्टरनेट पर जाना, तरह-तरह के पावरपाइंट प्रस्तुतीकरण, गाने सुनना, DVD देखना, ब्लौग करना, या और कुछ जो कि हम सब करना चाहते हैं उतना ही सरल है जितना कि मालिकाना सॉफ्टवेयर में। सबसे अच्छी बात है यह है कि बौद्धिक सम्पदा अधिकारों (Intellectual Property Rights) की कोई झन्झट नहीं तथा इसमें काम करने से आम व्यक्ति को पैसे खर्चा करने से मुक्ति और सॉफ्टवेयर की चोरी का कोई सवाल नहीं।

ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर क्या है

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फ्री सॉफ्टवेयर के लिये पैसा नहीं लिया जा सकता है। यदि सॉफ्टवेयर के लिये पैसा नहीं मिलेगा तो काम कैसे चलेगा| तब व्यापारी वर्ग को ऐसा लगा कि फ्री सॉफ्टवेयर बेकार है और उन्‍होंने इसे अपने से बहुत दूर रखा। हालांकि फ्री सॉफ्टवेयर से भी पैसा कमाया जा सकता है लेकिन उसका तरीका कुछ अलग है, परन्तु फ्री सॉफ्टवेयर पर कुछ ऐसा ठप्पा लग गया कि व्यापारी वर्ग उन दूसरे तरीकों को भी अपनाने से दूर रहने लगे। 1997 में फ्री सॉफ्टवेयर में उत्साही लोगों ने सैन-फ्रांसिस्को में एक मीटिंग की तथा ओपेन सोर्स ईनिशियेटिव (Open Source Initiative) (OSI) (ओ.एस.आई.) नाम की सार्वजनिक कारपोरेशन बनायी। इसमें १० मार्ग दर्शक सिद्धां‍त बनाये गये। और यदि सॉफ्टवेयर का लाइसेंस उन १० शर्तो को सन्तुष्ट करता हो तो ऐसे सॉफ्टवेयर को उन्होंने ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर की संज्ञा दी। इन १० मार्गदर्शक सिद्धांतो में मुख्य ३ निम्न हैं:

  • सॉफ्टवेयर का सोर्सकोड प्रकाशित होना चाहिये;
  • सॉफ्टवेयर के लिये कोई भी रायल्टी नहीं ली जा सकती है;
  • सोर्सकोड को संशोधित करने की सभी को स्वतंत्रता रहेगी।

ओ.एस.आई. ने अपने मार्गदर्शक सिद्धांन्तों के अन्तर्गत तरह-तरह के लाइसेंसों का मुआयना किया और करीब ५८ लाइसेंसो के लिये कहा कि वह 10 मार्ग दर्शक सिद्धां‍तों को सन्तुष्ट करते हैं जो भी सॉफ्टवेयर इन लाइसेंसो के अंतर्गत प्रकाशित किये जाते हैं उन्हें ही ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर कहा जाता है।

ओ.एस.आई. के द्धारा‍‍ चिन्हित लाइसेन्सों के एक छोर पर जीपीएल्ड लाइसेंस है जो किसी भी सॉफ्टवेयर को सबसे ज्यादा कापीलेफ्ट करता है। ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर लाइसेन्सों में यह सबसे लोकप्रिय भी है। दूसरे छोर पर बरकले सॉफ्टवेयर डिस्ट्रीब्यूशन (Berkeley Software Distribution) (बी.एस.डी.) है। जिसके अंतर्गत प्रकाशित किये हुये सॉफ्टवेयर को आप संशोधित कर, अपने स्वामित्व में ले सकते हैं। बाकी सारे चिन्हित किये गये लाइसेंस में इन दो किनारों के बीच में हैं तथा अलग-अलग स्तर तक सॉफ्टवेयरों को कौपीलेफ्ट करते हैं।

केवल सोर्सकोड प्रकाशित किये जाने पर सॉफ्टवेयर को ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर नहीं कहा जा सकता जब तक कि उस सॉफ्टवेयर का लाइसेंस ओ.एस.आई. की दसों मार्गदर्शक सिद्धान्तो को भी न सन्तुष्ट करे। इसका अपना लोगो भी है जिन सॉफ्टवेयर में ओ.एस.आई. का लोगो लगा होता है इसका अर्थ है कि वह ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर है।

लोकप्रिय ओपेनसोर्स सॉफ्टवेयर

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उबन्टू एक अत्यन्त लोकप्रिय मुक्तस्रोत ऑपरेटिंग सिस्टम है।

कुछ लोकप्रिय ओपेनसोर्स सॉफ्टवेयर निम्न हैं-

(१) ऑपरेटिंग सिस्टम' यूनिक्स की तरह के: इसमें कई तरह के आपरेटिंग सिस्टम हैं इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय लिनेक्स (Linux) [1] है। इसका ग्राफिकल इन्टरफेस विन्डोज़ की तरह का है परन्तु दोनों में तकनीक की भिन्नता है।

मैक/ औ.एस. की तरह के: परसनल कम‍प्यूटर की शुरूआत इन्हीं से हुई थी तथा चलाने में यह सबसे आसान हैं। अपने देश में तो नहीं, पर बाहर के देशों में ज्यादा लोकप्रिय है। बरक्ले यूनिक्स, यूनिक्स का ही रूप है। मैक सिस्टम में बरक्ले यूनिक्स का काफी योगदान है।

ओ.एस.-२, आई.बी.एम. के द्वारा निकाला हुआ आपरेटिंग सिस्टम था पर अब यह नहीं चल रहा है। यह भी अपने में विचारणीय प्रश्न है कि ओ.एस.-२ बहुत अच्छा आपरेटिंग सिस्टम होने के बाद क्यों नहीं चला तथा मैक भी इतना आसान आपरेटिंग सिस्टम होने के बाद भी विन्डोज़ की तरह क्यों नहीं लोकप्रिय है। इसकी वृस्तित चर्चा तो फिर कभी करेंगे पर अभी तो केवल इतना ही कि यूनिक्स के अधिकतर रूप ओपेन सोर्स साफटवेयर हैं। लिनक्स ओपेन सोर्स साफटवेयर है और जी.पी.एल. के अन्दर प्रकाशित है।

सोलैरिस भी यूनिक्स पर आधारित आपरेटिंग सिस्टम है। यह पहले सन माईक्रो-सिस्टम का मालिकाना साफ्टवेर था पर जनवरी २००५ से यह ओपेन सोर्स साफटवेयर हो गया है और CDDL के अन्दरगत प्रकाशित किया गया है।

२. फायरफौक्स (Firefox), थन्डरबर्ड (Thunderbird) तथा सनबर्ड (Sunbird) मौज़िला फाउन्डेशन के साफटवेयर हैं। यह मौज़िला प्बलिक लाईसेंस के अन्दर प्रकाशित है। यह लिनक्स तथा विन्डोज़ दोनों पर चलते हैं फायरफौक्स, इन्टरनेट एक्सप्लोरर की तरह वेब ब्राउजर है। थन्डरबर्ड, आउटलुक एक्सप्रेस की तरह ई-मेल भेजने व पाने के लिये साफटवेयर है। सनबर्ड, माइक्रोसौफ्ट आउटलुक की तरह का ई-मैनेजर है।

३. जिम्प (GIMP): यह फोटो ठीक करने का फोटोशौप की तरह का सॉफ्टवेयर है। यह जी.पी.एल. के अन्दर प्रकाशित है। यह लिनक्स एवं विन्डोज़ दोनों पर चलता है।

४. ओपेन आफिस डाट ओर्ग (OpenOffice.Org): यह एल.जी.पी.एल. के अन्दर प्रकाशित है। यह माइक्रोसौफ्ट औफिस की तरह का सॉफ्टवेयर है तथा आफिस में कार्य आने वाले सारे कार्य कर सकता है। यह विन्डोज़ तथा लिनक्स दोनों पर चलता है। यह माइक्रोसॉफ्ट औफिस में बनाये गये अलग-अलग तरह के फौरमेट (Format) के दस्तावेजों, प्रस्तुतीकरण को खोल सकता है तथा उसी फौरमेट में सुरक्षित कर सकता है।

५. एपाचे (Apache): यह वेब सर्वर के लिये सबसे ज्यादा लोकप्रिय साफटवेयर है।

यदि आप विन्डोज़ में काम करते हैं तथा लिनक्स पर जाने की बात सोचते हैं तो आप ओपेन आफिस डाट और्ग, फायरफौक्स, थन्डरबर्ड, सनबर्ड और जिम्प पर काम करके देखें।

ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर: परिवर्णी शब्द (acronym)

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जब हम लोग ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर की बात कर रहे हैं तो उन तीन परिवर्णी शब्द (acronym) की बात कर ली जाय जो इस सम्बन्ध में प्रयोग किये जाते हैं

  • FOSS
  • FLOSS
  • LAMP

FOSS/ FLOSS: फ्री सॉफ्टवेयर, ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर है पर हर ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर, फ्री सॉफ्टवेयर नहीं है। फ्री सॉफ्टवेयर के लिये उसे जी.पी.एल. लाइसेंस के अन्दर प्रकाशित होना होगा पर ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर कई अन्य तरह के लाइसेंस के अन्दर भी प्रकाशित हो सकता है। दोनों में अन्तर तो है पर सम्बन्ध भी गहरा है। फ्री सॉफ्टवेयर से ही यह सब शुरू हुआ है इसलिये ऐसे सॉफ्टवेयर को Free Open Source Software या छोटे में FOSS कहा जाता है।

यहां फ्री शब्द का अर्थ स्वतंत्रता से है पर फ्री शब्द का अर्थ बिना पैसे के भी होता है इसलिये फ्री शब्द का प्रयोग कुछ चक्कर में डाल देता है। फ्रेंच भाषा में दो अलग-अलग शब्द हैं

Gratis जिसका अर्थ बिना पैसे के होता है
Libre जिसका अर्थ स्वतंत्रता से होता है

इसलिये लोग अक्सर Free/Libre Open Source Software या FLOSS का प्रयोग करते हैं

LAMP: ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के चार मुख्य स्तम्भ हैं:

Linux

Appache

MySQL

Python, Perl, PHP इत्यादि

लिनेक्स तथा एपैचे के बारे में पहिले चर्चा हो चुकी है। MySQL एक डाटा-बेस प्रबंध करने का प्रोग्राम है। Python, Perl, PHP इत्यादि स्क्रिप्टिंग तथा प्रोग्राम लिखने की कमप्यूटर भाषायें हैं इन्हीं के पहले अक्षर को छोटा कर के LAMP शब्द बना है। आने वाला कल हो सकता है कि इसी LAMP से उज्जवलित हो इसलिये ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर को किनारे न कीजिये, ध्यान में रखिये।

ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर: महत्व

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  • १- बौद्धिक सम्पदा अधिकार: जब कोई व्यक्ति मालिकाना सॉफ्टवेयर पर काम करता है तो वह मालिकाना सॉफ्टवेयर के बौद्धिक संपदा अधिकारों को बढ़ाता करता है, पर जब वह ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर पर काम करता है तब वह अपने बौद्धिक सम्पदा अधिकारों को बढ़ाता है, या कम से कम किसी और के नहीं। वह अपने बौद्धिक सम्पदा अधिकारों को बढ़ा रहा है या किसी के भी नहीं बढ़ा रहा है, यह उस ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर की लाईसेंस की शर्तों के ऊपर निर्भर करता है। हमारा देश दुनिया के सारे देशों में सॉफ्टवेयर के मामले में आगे हैं और यह विचारणीय प्रश्न है कि किसके बौद्धिक सम्पदा अधिकारो को मजबूत किया जाना चाहिये।
  • २- बौद्धिक सम्पदा अधिकार के साथ रिश्ता: ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर की सबसे महत्वपूर्ण बात इनका बौद्धिक सम्पदा अधिकार के साथ रिश्ता है। इसको लिखने वाले इसके प्रयोग और संशोधन करने में कोई भी बौद्धिक संपदा अधिकार का दावा नहीं करते हैं यह बात इस तरह से स्पष्ट है कि इसे लिखने वाले स्वयं कहते हैं कि जो चाहे तो इसका प्रयोग कर सकता है, वितरित कर सकता है तथा संशोधित कर सकता है। यह सच है कि इस शताब्दी में लड़ाईयां पानी तथा तेल पर होंगी पर बहुत सी लड़ाईयां बौद्धिक संपदा अधिकारों को लेकर होंगी। ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर का प्रयोग करने से बौद्धिक संपदा अधिकार के झगडों से बचा जा सकता है।
  • ३- प्रयोग या संशोधन करने में कॉपीराइट का कोई अतिक्रमण नहीं: ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर को प्रयोग या संशोधन करने में हमेशा छूट रहती है। इसलिये उसका प्रयोग करने से या संशोधन करने से किसी के भी कॉपीराइट का अतिक्रमण नहीं होता है। अक्सर जब आप किसी के मालिकाना सॉफ्टवेयर का बिना पैसा दिये का प्रयोग करते हैं या एक कॉपी लेकर एक से अधिक कंप्यूटर में प्रयोग करते हैं तो आप उसके कॉपीराइट का उल्लंघन करते हैं। यह कानूनी तौर पर गलत है इस कारण आप जेल भी जा सकते हैं और हर्जाना देना पड़ सकता है। यदि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के प्रयोग अथवा संशोधन करने में कभी भी कानून का भी उल्लंघन नहीं होता है। इसका प्रयोग एवं संशोधन बिना किसी अपराध भावना के किया जा सकता है। हां जिन शर्तो के अन्दर यह प्रकाशित किया गया है उसका उल्लंधन करने पर अवश्य कॉपीराइट का अतिक्रमण होता है।
  • ४- व्यय में कमी: ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के लिये कोई भी रॉयल्टी नहीं ली जा सकती है। इसलिये इसका प्रयोग करने से हमेशा खर्च कम होता है। यदि कोई योजना शुरू की जाय तो ओपेन सोर्स सोर्स सॉफ्टवेयर प्रयोग करने से उसका खर्च हमेशा कम रहेगा।
  • ५- सॉफ्टवेयर के दाम में कमी: चूंकि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के लिये कोई भी रॉयल्टी नहीं ली जा सकती है तथा इसके प्रयोग करने से खर्च कम होता है इसलिये बहुत से मालिकाना सॉफ्टवेयर के मालिकों ने भी अपने दाम कम किये हैं।
  • ६- मनपसंद बनाया जा सकता है: ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर को हमेशा संशो‍धित किया जा सकता है इसलिये आप इसे हमेशा मनपसन्द बना सकते हैं। यह मालिकाना सॉफ्टवेयर में तब तक सम्भव नहीं है जब तक कि मालिकाना सॉफ्टवेयर का मालिक स्वयं न चाहे। ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर को आप जिस भाषा में चाहे उसमें प्रयोग कर सकते हैं। हमारे देश की बहुत कम जनसंख्या अंग्रेजी जानती है। ज्यादातर लोग मार्तभाषा का प्रयोग करते हैं यदि हम लोगों को मार्तभाषा में कंप्यूटर दे सके तो सूचना प्रौद्योगिकी को जन-जन तक ले जाया जा सकता हैं और यह सूचना प्रौद्योगिकी को तेजी से ऊंचाई तक ले जाने में हमारी सहायक हो सकती है। इसी लिये इस समय कई मालिकाना सॉफ्टवेयरों ने भी हिन्दीमय होने का फैसला किया है।
  • ७- वायरस नहीं: वायरस एक तरह का कंप्यूटर प्रोग्राम होता है जो कि दूसरे कंप्यूटर या कंप्यूटर के डाटा को प्रभावित करता है। ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर में भी वायरस हो सकता है परन्तु यह मालिकाना सॉफ्टवेयर के मुकाबिले नगण्य है। कंप्यूटर वैज्ञनिकों के अनुसार चूंकि ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर खुला है इसलिये ज्यादा स्थायी है

लिनूस टोरवाल्डस तथा बिल गेट्स के विचार

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लिनूस टोरवाल्डस, जो लिनक्स के जन्मदाता हैं, ने अपनी जीवनी डेविड डाईमन्ड के साथ लिखी है। इसका नाम है 'Just for Fun: the Story of an Accidental Revolutionary’। यह बहुत अच्छी पुस्तक है तथा इसे पढने से जीवन में आगे बढने की प्रेरणा मिलती है वह इस पुस्तक में ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर के बारे में कहते हैं,

‘The GPL and open source model allows for the creation of the best technology. … It also prevents the hoarding of technology and ensures that anyone with interest won’t be excluded from its development.

… So open source would rather use the legal weapon of copyright as an invitation to join in the fun, rather than as a weapon against others. It’s still the same old mantra: Make Love, Not War, except on a slightly more abstract level. …

Imagine an intellectual property law that actually took other people’s rights into account, too. Imagine IP laws that encouraged openness and sharing. Laws that say sure, you can still have your secrets, whether they be technological or religious, but that doesn’t mandate legal protection for such secrecy.’

जब हम लोग बात ओपेन सॉफ्टवेयर में कुछ फायदे के बारे में कर रहे है तो बहुत अच्छा होगा कि कुछ दूसरा पक्ष भी देखें| बिल गेट्स, विन्डोज़ के जन्मदाता हैं। उन्होंने ‘The Road Ahead’ पुस्तक लिखी है। यह पुस्तक भी बहुत अच्छी है। अपने नाम के मुताबिक यह बताती है कि सूचना प्रद्योगिकी भविष्य में किस तरफ जायेगी| इसमें कई मुश्किल सवालों को बहुत आसानी से समझाया गया है। इसमें वे फ्री सॉफ्टवेयर की कमियों को इस तरह से वर्णन करते हैं,

'In addition to free information, there's a lot of free software on the Internet today, some of it quite useful. Sometimes it's commercial software given away as part of a marketing campaign. Other times the software has been written as a graduate student project or at a government-funded lab. But I think consumer desire for quality, support, and comprehensiveness in important software applications means that the demand for commercial software will continue to grow. Already many of the students and faculty members who wrote free software at their universities are busy writing business plans for start-up companies that will provide commercial versions of their software with more features, not to mention customer support and maintenance.'

यह तो कहना मुश्किल है कि सॉफ्टवेयर उद्योग किस तरफ जायेगा परन्तु दुनिया के बहुत सारे देश तथा व्यापार घराने ओपेन सोर्स सॉफ्टवेयर को अपना हिस्सा बना रहे हैं। हम इस समय एक दोराहे पर खड़े हैं और एक ऐसी स्थिति में हैं कि सूचना प्रद्योगिकी को नया मोड़ दे सकते हैं। सूचना प्रद्योगिकी के इन्जीनियरों की हमारे पास कमी नहीं है।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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