निकाह

इस्लाम में, विवाह (निकाह) एक पुरुष और स्वतंत्र इच्छा की महिला के बीच एक अनुबंध है

निकाह:इस्लाम में निकाह एक शादी का क़ानूनी अनुबंध है। (अरबी: عقد القران 'अक़्द अल-क़िरान,"शादी के अनुबंध"; उर्दू: نکاح نامہ;निकाह नामा) वधू और वधुवर के बीच शरिया के अनुसार अनुबंध। या दूल्हे और दुल्हन के बीच एक क़रार नामा है। इस निकाह के लिये दोनों की अनुमती होना ज़रूरी है। दुल्हे को चाहिये कि निकाह का शुल्क जिसे "महर" कहा जाता है, अदा करना पडता है। इस्लाम में निकाह एक संस्कार ना होकर मात्र एक अधिकार (कान्ट्रैक्ट) है। इस्लाम धर्म मे निकाह के बाद पत्नी का पति के शरीर पर एवं पति का पत्नी के शरीर पर अधिकार होता है। [1][2]निकाह के लगवी मानी जमा करना, मिलाना, गांठ बांधना और एक दुसरे में दाखिल होने के हैं। और शरई मानी “मियां-बीवी के बीच अकद जिससे वती (सोहबत) करना हलाल” होता है।[3]

एक पाकिस्तानी दुल्हन शादी के प्रमाण पत्र पर हस्ताक्षर करते हुवे।

इस निकाह में दुल्हा और दुल्हन की तरफ़ से दो मुस्लिम गवाह होना चाहिए और एक वकील होना भी ज़रूरी है, वकील का मतलब कोर्ट का लायर नही बल्कि वकालत करने रिश्तेदार या दोस्त का होना भी आवश्यक माना जाता है। इस तरीक़े को शरीयत या शरिया या इस्लामीय न्यायसूत्र का तरीका कहते हैं।  [4] इस निकाह को "निकाह-मिन-सुन्नह" या सुन्नत तरीक़े से किया गया निकाह कहते हैं।

निकाह क़ुरआन में

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सूरा -- अल-बक़रा - आयत 2:221

और मुशरिक (बहुदेववादी) स्त्रियों से निकाह न करो जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानदारी बांदी (दासी), मुशरिक स्त्री से कहीं उत्तम है; चाहे वह तुम्हें कितनी ही अच्छी क्यों न लगे। और न (ईमानवाली स्त्रियाँ) मुशरिक पुरुषों से विवाह करो, जब तक कि वे ईमान न लाएँ। एक ईमानवाला गुलाम आज़ाद मुशरिक से कहीं उत्तम है, चाहे वह तुम्हें कितना ही अच्छा क्यों न लगे। ऐसे लोग आग (जहन्नम) की ओर बुलाते है और अल्लाह अपनी अनुज्ञा से जन्नत और क्षमा की ओर बुलाता है। और वह अपनी आयतें लोगों के सामने खोल-खोलकर बयान करता है, ताकि वे चेतें[5]

सूरा अन-निसा (औरत) - आयत 4:23

तुमपर हराम (निषिद्ध) कर दी गई हैं; तुम्हारी माताएँ, तुम्हारी बेटियाँ, तुम्हारी बहनें, तुम्हारी फूफियाँ, तुम्हारी मौसियाँ (खालाएँ) और भतीजियाँ, भाँजियाँ, तुम्हारी वे माताएँ जिन्होंने तुम्हें दूध पिलाया है, दूध के रिश्ते से तुम्हारी बहनें, तुम्हारी पत्नियों की माताएँ (सासें) , तुम्हारी गोद में पालित-पोषित तुम्हारी उन पत्नियों की बेटियाँ जिनसे तुम संभोग कर चुके हो। यदि तुमने उनसे संभोग न किया हो, तो तुमपर (उनकी बेटियों से विवाह करने में) कोई गुनाह नहीं, और तुम्हारे सगे बेटों की पत्नियाँ और यह कि तुम दो बहनों को (निकाह में) एकत्रित करो, परंतु जो (अज्ञानता के काल में) बीत चुका, (सो बीत चुका)। निःसंदेह अल्लाह अत्यंत क्षमाशील, असीम दयावान है।

सूरा अन-निसा (औरत) - आयत 4:24

तथा उन स्त्रियों से (विवाह करना हराम है), जो दूसरों के निकाह़ में हों, सिवाय तुम्हारी दासियों के। यह अल्लाह ने तुम्हारे लिए अनिवार्य कर दिया है। और इनके सिवा दूसरी स्त्रियाँ तुम्हारे लिए ह़लाल कर दी गई हैं कि तुम अपना धन (महर) खर्च करके उनसे विवाह कर लो (बशर्ते कि तुम्हारा उद्देश्य) सतीत्व की रक्षा हो, अवैध तरीके से काम वासना की तृप्ति न हो। फिर उन औरतों में से जिनसे तुम लाभ उठाओ, उन्हें उनका महर अवश्य चुका दो। तथा यदि महर निर्धारित करने के बाद आपसी सहमति (से कोई कमी-बेशी) कर लो, तो तुमपर कोई गुनाह नहीं है। निःसंदेह अल्लाह सब कुछ जानने वाला, पूर्ण हिकमत वाला है।

सूरा अन-नूर (प्रकाश) - आयत 24:32

तथा तुम अपने में से अविवाहित पुरुषों तथा स्त्रियों का निकाह कर दो, और अपने दासों और अपनी दासियों में से जो सदाचारी हैं उनका भी (विवाह कर दो)। यदि वे निर्धन होंगे, तो अल्लाह उन्हें अपने अनुग्रह से धनी बना देगा। और अल्लाह विस्तार वाला, सब कुछ जानने वाला है।[6]

समझौते द्वारा शादी

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निकाह की अहमियत

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मेंहदी पर एक मुस्लिम दुल्हन के हाथ, तमिलनाडु, भारत.

इन्हें भी देखें

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  1. Muhhamadmulla. "इस्लाम में निकाह सिर्फ कॉन्ट्रैक्ट है, हिन्दू विवाह जैसा संस्कार नहीं: कर्नाटक HC". अमर उजाला. अभिगमन तिथि 16 नवंबर 2022.
  2. "कर्नाटक हाईकोर्ट: मुस्लिम निकाह अनुबंध, हिंदू विवाह की तरह संस्कार नहीं". Dopolitics. मूल से 15 नवंबर 2022 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 नवंबर 2022.
  3. "निकाह के मसाइल | ख़ुत्बाए निकाह, मेहर, हमबिस्तरी, वलीमा". Ummate Nabi ﷺ. 2023-10-15. अभिगमन तिथि 2023-10-15.
  4. Hasso, Frances S. (2011). "Consuming Desires: Family Crisis and the State in the Middle East". Stanford University Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0804761567. मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 5 जुलाई 2016.
  5. "Tanzil - Quran Navigator | القرآن الكريم". tanzil.net. अभिगमन तिथि 2025-02-13.
  6. "अर्थों का अनुवाद सूरा सूरा अन्-नूर - हिंदी अनुवाद". पवित्र क़ुरआ विश्वकोश. अभिगमन तिथि 2025-02-13.

बाहरी कड़ियाँ

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