निगाली सागर नामक स्थान नेपाल की तराई में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है। यह उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के उत्तर में तथा रुम्मिनदेई से लगभग बीस किलोमीटर पश्चिमोत्तर में है। यहाँ एक अशोक स्तम्भ मिला है जो निगलीव गांव के पास निगाली-सागर नाम के एक विशाल सरोवर के पास खड़ा है।

स्तम्भ लेख के अनुसार अशोक यहाँ भी पूजा के लिए आए थे । गौतम बुद्ध के भी पहले के किसी कनकमुनि बुद्ध के शरीरावशेषों पर यहाँ एक स्तूप बनाया गया था।

निगाली सागर स्तम्भलेख

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यह स्तम्भ २४९ ईसापूर्व बना था और सम्राट अशोक स्वयं यहाँ आये थे। इस पर अंकित सन्देश निम्नलिखित है-


निगाली सागर स्तम्भलेख
अनुवाद
(अंग्रेजी)
लिप्यन्तरण
(मूल ब्राह्मी लिपि में)
लेख
(प्राकृत ब्राह्मी लिपि)
“देवताओ के प्रिय प्रियदर्शीन राजा (सम्राट अशोक) ने अपने शासनकाल के 14वें वर्ष में कनकमुनि बुद्ध के स्तूप का दूसरी बार विस्तार किया और अपने शासनकाल के 20वें वर्ष में, व्यक्तिगत रूप से आकर श्रद्धा अर्पित की और पत्थर स्तम्भ स्थापित किया । ”.[1][2]

𑀤𑁂𑀯𑀸𑀦𑀁𑀧𑀺𑀬𑁂𑀦 𑀧𑀺𑀬𑀤𑀲𑀺𑀦 𑀮𑀸𑀚𑀺𑀦 𑀘𑁄𑀤𑀲𑀯𑀲𑀸 𑀪𑀺𑀲𑀺𑀢𑁂𑀦
देवानाम् पियेन पियदसिना लजिन-चोदसवसा भिसितेन
𑀩𑀼𑀥𑀲 𑀓𑁄𑀦𑀸𑀓𑀫𑀦𑀲 𑀣𑀼𑀩𑁂𑀤𑀼𑀢𑀺𑀬𑀁 𑀯𑀠𑀺𑀢𑁂
बुधस कोनाकमनस थुबे-दुत्यम वधिते
𑀯𑀺𑀲𑀢𑀺𑀯 𑀲𑀸𑀪𑀺𑀲𑀺𑀢𑁂𑀦𑀘 𑀅𑀢𑀦 𑀅𑀕𑀸𑀘 𑀫𑀳𑀻𑀬𑀺𑀢𑁂
विसतिव साभिसितेन–च अतन-अगाच-महीयिते
𑀲𑀺𑀮𑀣𑀩𑁂𑀘 𑀉𑀲𑀧𑀧𑀺𑀢𑁂
सिलाथाबे-च उस पपिते[3][4]

 
स्तंभलेख की छाप

इसका उद्घाटन अशोक ने स्वयं किया थ। इस स्तम्भ पर सबसे पहली बार 'थुबे' शब्द (= 'स्तूप') आया है।[5]

इस पर एक दूसरा लेख भी अंकित है, "ओम् मणि पद्मे हुम" और "श्री रिपु मल्ल चिरं जयतु १२३४" (जो राजा रिपु मल्ल द्वारा शक सम्वत १२३४ (=१३१२ ई) में अंकित कराया गया था।

चित्रदीर्घा

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  1. Basanta Bidari - 2004 Kapilavastu: the world of Siddhartha - Page 87
  2. Inscriptions of Asoka. New Edition by E. Hultzsch (Sanskrit में). 1925. पृ॰ 165. मूल से 25 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अप्रैल 2020.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  3. Basanta Bidari - 2004 Kapilavastu: the world of Siddhartha - Page 87
  4. Inscriptions of Asoka. New Edition by E. Hultzsch (Sanskrit में). 1925. पृ॰ 165. मूल से 25 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 अप्रैल 2020.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  5. Amaravati: The Art of an early Buddhist Monument in context. p.23 Archived 2019-05-08 at the वेबैक मशीन