नियंत्रक (नियंत्रण सिद्धान्त)

नियंत्रण सिद्धान्त में नियन्त्रक (कन्ट्रोलर) वह युक्ति या उप-प्रणाली होती है जो गतिकीय तन्त्र को नियन्त्रित करने और उसकी संचालन स्थिति में आवश्यकता अनुसार भौतिक परिवर्तन करता है।[1][2] डिजिटल कन्ट्रोल प्रणाली में नियंत्रक एक कलनविधि (एल्गोरिद्म) के रूप में होता है। नियन्त्रक का कार्य 'प्लान्ट' P के इन्पुट्स को इस प्रकार बदलना है कि उस सिस्टम को इच्छित प्रावस्था (स्टेट) में ले जाया जा सके। यह भी आवश्यक होता है कि सिस्टम को इच्छित प्रावस्था में ले जाने में कम से कम समय लगे, कम से कम ऊर्जा का व्यय हो, ओवरशूट/अन्डरशूट एक सीमा में रहें, स्थायी स्थिति में त्रुटि न्यूनतम या शून्य हो, आदि आदि। पीआईडी नियंत्रक एक प्रसिद्ध पारम्परिक नियन्त्रक है जो अब भी बहुतायत में प्रयोग किया जाता है। किन्तु अब कुछ अन्य प्रकार के नियन्त्रक भी प्रय्ग किये जाने लगे हैं, जैसे अरैखिक नियंत्रक, अनुकूली नियंत्रक (adaptive controller), इष्ट नियंत्रक (ऑप्टिमल कन्ट्रोलर), मॉडेल प्रिडिक्टिव कन्ट्रोलर, रोबस्ट कन्ट्रोलर, बुद्धिमान नियंत्रक आदि।

इस सरल फीडबैक लूप में C नियंत्रक है।

इन्हें भी देखिये संपादित करें

सन्दर्भ संपादित करें

  1. सलगाडो, ग्राहम सी॰ गूडविन, स्टेफन एफ॰ ग्राइबे, मारियो ई॰ (२००१). Control System Design [नियंत्रण पद्धति निर्माण] (अंग्रेज़ी में). अपर सैडल नदी, एन॰जे॰: प्रेंटिस हॉल. पपृ॰ २१. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0139586539.
  2. बेन्नेट्ट, एस॰ (१९९३). A History of Control Engineering 1930-1955 (अंग्रेज़ी में). लंदन: इलेक्ट्रिकल इंजीनियर्स संस्था की ओर से पीटर पेरेग्रिनुस लिमिटेड. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-86341-280-7.