नियन्त्रण (Controlling) प्रबन्धन के बहुत से कार्यों में से एक है। नियंत्रण के अलावा प्रबन्धन के अन्य कार्य हैं - नियोजन (planning), संगठन (organizing), कर्मचारी नियुक्तिकरण (staffing) तथा निदेशन (directing)। प्रबन्धन में नियंत्रण एक महत्वपूर्ण कार्य है क्योंकि यह गलतियाँ सुधारने तथा सुधारात्मक कदम उठाने में मदद करता है

आधुनिक संकल्पना यह है कि नियंत्रण, भविष्य को देखने जैसा कार्य है जबकि पहले नियंत्रण को गलती (error) को सुधारने वाला कार्य समझा जाता था। प्रबन्धन में नियन्त्रण का अर्थ है - मानक घोषित करना (setting standards), वास्तविक परफॉर्मैंस को मापना तथा सुधारात्मक कार्यवाही करना।

नियंत्रण को प्रबंध के कार्य के उस रूप में परिभाषित किया है जिसमें वह संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संगठन कार्य के निष्पादन को निर्देशित करता है। नियंत्रण कार्य में निष्पादन के स्तर निर्धारित किए जाते हैं, वर्तमान निष्पादन को मापा जाता है। इसका पूर्वनिर्धारित स्तरों से मिलान किया जाता है और विचलन की स्थिति में सुधारात्मक कदम उठाए जाते हैं। इसके लिए प्रबंधकों को यह निर्धारित करना होगा कि सफलता के लिए क्या कार्य एवं उत्पादन महत्त्वपूर्ण हैं, उसका कैसे और कहाँ मापन किया जा सकता है तथा सुधारात्मक कदम उठाने के लिए कौन अधिकृत है। सुहासिनी ने जब पाया कि उसके डिजाइनकर्ताओं की टीम ने पलंग की वह चादर बनाई जो उनकी विक्रय के लिए निश्चित मूल्य से अधिक महँगी थी तब उसने लागत पर नियंत्रण के लिए चादर हेतु कपड़ा ही बदल दिया।

प्रबंधक के विभिन्न कार्यों पर साधारणतया उपरोक्त क्रम में ही चर्चा की जाती है जिसके अनुसार एक प्रबंधक पहले योजना तैयार करता है; फिर संगठन बनाता है; तत्पश्चात् निर्देशन करता है; और अंत में नियंत्रण करता है। वास्तव में प्रबंधक शायद ही इन कार्यों को एक-एक करके करता है। प्रबंधक के कार्य एक दूसरे से जुड़े हैं तथा यह निश्चित करना कठिन हो जाता है कौन-सा कार्य कहाँ समाप्त हुआ तथा कौन-सा कार्य कहाँ से प्रारंभ हुआ।

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