नीरद चंद्र चौधरी
भारतीय बंगाली अंग्रेजी लेखक और अक्षरों का आदमी
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नीरद चंद्र चौधुरी (बंगला : নীরদ চন্দ্র চৌধুরী नीरदचन्द्र चौधुरी ; 23 नवम्बर 1897 – 1 अगस्त 1999) बंगाल के एक विद्वान एवं अंग्रेजी-लेखक थे। इनके द्वारा रचित एक जीवनी स्कॉलर एक्स्ट्राऑर्डिनरी के लिये उन्हें सन् 1975 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]
कृतियाँ
संपादित करेंबांग्ला
संपादित करें- बंगाली जीबने रमणी (बंगाली जीवन में नारी की भूमिका)
- आत्मघाती बंगाली
- आत्मघाती रबीन्द्रनाथ
- आमार देबोत्तर सम्पत्ति (My Bequeathed Property)
- निर्बाचित प्रबन्ध (चुने हुए निबन्ध)
- आजी होते शतबर्ष आगे (सौ वर्ष पहले)
अंग्रेजी
संपादित करें- The Autobiography of an Unknown Indian (1951)
- A Passage to England (1959)
- The Continent of Circe (1965)
- The Intellectual in India (1967)
- To Live or Not to Live (1971)
- Scholar Extraordinary, The Life of Professor the Right Honourable Friedrich Max Muller, P.C. (1974)
- Culture in the Vanity Bag (1976)
- Clive of India (1975)
- Hinduism: A Religion to Live by (1979)
- Thy Hand, Great Anarch! (1987)
- Three Horsemen of the New Apocalypse (1997)
- The East is East and West is West (collection of pre-published essays)
- From the Archives of a Centenarian (collection of pre-published essays)
- Why I Mourn for England (collection of pre-published essays)
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.
बाहरी कड़ियाँ
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