नीलिमा मिश्रा
इस जीवनी लेख में सत्यापन हेतु अतिरिक्त सन्दर्भों की आवश्यकता है। कृपया विश्वसनीय स्रोत जोड़कर इस लेख को बेहतर बनाने में मदद करें। जीवित व्यक्तियों के बारे में विवादास्पक सामग्री जो स्रोतहीन है या जिसका स्रोत विवादित है तुरंत हटाई जानी चाहिये, खासकर यदि वह मानहानिकारक अथवा नुकसानदेह हो। (जुलाई 2016) |
नीलिमा मिश्रा वर्ष 2011 की रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेता सामाजिक कार्यकर्ता हैं।
सामाजिक कार्य
संपादित करेंउन्होंने पारोला तहसील के छोटे से गांव बहादरपुर से अपने सामाजिक कार्यो की शुरुआत की थी। वे बहादरपुर व धुलिया, नंदुरबार, जलगांव, नाशिक आदि जिलों में दीदी के रूप में जानी जाती हैं। उन्होंने ग्रामीण जमीनी स्तर के कार्यो में स्वयं को झोंक दिया।
भगिनी निवेदिता ग्रामीण विज्ञान निकेतन
संपादित करेंउन्होंने ग्रामीण उद्योग व महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2000 में भगिनी निवेदिता ग्रामीण विज्ञान निकेतन की स्थापना की। इस संस्था के माध्यम से उन्होंने गाँव में बचत गुट स्थापित करना प्रारंभ किया।
महिला बचत गट
संपादित करेंउन्होंने महिला रोजगार उत्थान एवं स्वावलंबन को लेकर महिला बचत गुटों की स्थापना की। उन्होंने इन बचत गुटों के माध्यम से प्रमुख रूप से कढ़ाइदार रजाइयों का निर्माण प्रारंभ कराया। उन्होंने महिला स्वयं रोजगार में बचत गुटों के माध्यम से गरीबी रेखा के नीचे या जरूरतमंद, आर्थिक दरिद्रता में जी रही महिलाओं को विभिन्न कार्यो में लगाया है। इन गुटों द्वारा स्वयं आमदनी के रूप में पैसा एकत्रित करते हुए एक करोड़ रुपए का निवेश किया गया है। इसके साथ ही घर पहुंच, भोजन, डिब्बा व्यवस्था, गृह उद्योगों को बढ़ावा, दुग्ध व्यवसय, महिलाओं में सिलाई कढ़ाई कार्य, युवाओं को तकनीकी शिक्षा, कम्प्यूटर प्रशिक्षण आदी भी प्रारंभ किया गया। इसके अलावा उन्होंने शासकीय योजना, पानी रोको, पानी बचाओ के अंतर्गत गांव में अपने समूहों को प्रोत्साहित करते हुए नाला निर्माण, खेतों की मेड़ आदि निर्माण का कार्य कराया।
किसान ऋण
संपादित करेंउन्होंने किसानों को विभिन्न कार्यों के लिए ऋण उपलब्ध कराया और वर्मी कंपोस्ट, देसी खाद आदि के प्रयोग लिए जागरुक बनाया।
दुग्ध उत्पादन केंद्र
संपादित करेंउन्होंने दूध उत्पादन में किसानों के साथ होनेवाली परेशानियों का अध्ययन किया और दूध उत्पादकों को न्याय दिलाने के लिए एक भव्य डेयरी स्थापना की संकल्पना की है। इसके लिए उनकी संस्था ने बहादरपुर गांव के छह जरूरतमंद किसानों को दो-दो भैंसे खरीदने के लिए ऋण उपलब्ध कराया है।