नुआपड़ा
नुआपड़ा भारत के ओड़ीसा प्रान्त का एक शहर है। यह नुआपड़ा जिला मुख्यालय है।[1][2][3]
नुआपड़ा Nuapada ନୂଆପଡ଼ା | |
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योगेश्वर मंदिर, पतोरा | |
निर्देशांक: 20°49′00″N 82°32′00″E / 20.8167°N 82.5333°Eनिर्देशांक: 20°49′00″N 82°32′00″E / 20.8167°N 82.5333°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | ओड़िशा |
ज़िला | नुआपड़ा ज़िला |
जनसंख्या | |
• कुल | 26,239 |
भाषा | |
• प्रचलित | ओड़िया |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
विवरण
संपादित करेंपश्चिमी ओड़ीशा का नुआपड़ा जिला मध्य प्रदेश के रायपुर और ओड़ीशा के बरगढ़, बलांगिर व कालाहांडी जिलों से घिरा हुआ है। 3407.05 वर्ग किलोमीटर में फैला यह जिला 1993 तक कालाहांडी का हिस्सा था, लेकिन प्रशासनिक सुविधा के लिहाज से इसे कालाहांडी से अलग एक नए जिले के रूप में गठित कर दिया गया। पतोरा जोगेश्वर मंदिर, राजीव उद्यान, पातालगंगा, योगीमठ, बूढ़ीकोमना, खरीयार, गौधस जलप्रताप आदि यहां के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं।
प्रमुख आकर्षण
संपादित करेंपतोरा जोगेश्वर मंदिर
संपादित करेंयह पश्चिमी ओड़ीसा और छत्तीसगढ़ के लोकप्रिय शिव पीठों में एक है। मारागुडा घाटी के मारागुडा गांव में स्थित इस मंदिर में 6 फीट ऊंचा शिवलिंग स्थापित है। इसके निकट ही राम मंदिर भी बना हुआ है। 40 फीट ऊंची हनुमान की मूर्ति यहां का मुख्य आकर्षण है।
पातालगंगा
संपादित करेंहिन्दुओं का यह पवित्र तीर्थस्थान खरियार से 41 किलोमीटर और बोडेन से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। माना जाता है कि जो व्यक्ति इसके गर्म जल में स्नान करता है, उसे मुक्ति मिलती है। पातालगंगा में स्नान करने को पवित्र गंगा नदी में स्नान करने के बराबर माना जाता है। कहा जाता है कि जब भगवान राम अपने वनवास के दौरान इस क्षेत्र से गुजर रहे तो सीता को प्यास लगी है। सीता की प्यास बुझाने के लिए राम ने धरती पर बाण चलाया और पातालगंगा की उत्पत्ति हुई।
योगीमठ
संपादित करेंयोगीमठ लोकप्रिय प्रागैतिहासिक कालीन गुफा है। इस गुफा में पुरापाषाण काल के अनेक चित्र पत्थरों पर बने हुए हैं। यहां बनी सांड की आकृति काफी आकर्षक है। कृषि और पशुओं के चित्र आज भी उस काल के जीवन आंखों के सामने उपस्थित कर देते हैं।
बूढ़ीकोमना
संपादित करेंबूढ़ीकोमना खरियार से 73 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थान की लोकप्रियता यहां बने भगवान पातालेश्वर शिव के मंदिर के कारण है। त्रिरथ शैली में बने इस मंदिर के निर्माण में ईंटों का प्रयोग किया गया है। वर्तमान में यह मंदिर क्षतिग्रस्त अवस्था में है।
खरियार
संपादित करेंखरियार नगर के बीचों बीच बना प्राचीन दधीबामन मंदिर बना हुआ है। इस मंदिर को स्थानीय लोग बडागुडी नाम से भी पुकारते हैं। इसके अलावा भगवान जगन्नाथ मंदिर, हनुमान मंदिर, देवी लक्ष्मी मंदिर और रक्तांबरी मंदिर यहां के अन्य लोकप्रिय आकर्षण हैं। खरियार में अमेरिकन इवेन्जलिकल मिशन की गतिविधियों होती रहती हैं।
गौधस जलप्रपात
संपादित करेंनुआपड़ा से 30 किलोमीटर दूर स्थित इस जलप्रपात की कुल ऊंचाई 30 मीटर है। यह झरना गर्मियों के दिनों में सूख जाता है। इसके निकट ही भगवान शिव का मंदिर देखा जा सकता है। बैसाखी पर्व के मौके पर यहां दूर-दूर से भक्तों का आगमन होता है।
सुनादेब वन्यजीव अभयारण्य
संपादित करें600 वर्ग किलोमीटर में फैला यह अभयारण्य नुआपड़ा जिले में छत्तीसगढ़ की सीमा के निकट स्थित है। इसे बारहसिंहा का आदर्श स्थान माना जाता है। साथ ही टाईगर, तेंदुए, हेना, बार्किंग डीयर, चीतल, गौर, स्लोथ बीयर और पक्षियों की विविध प्रजातियां देखी जा सकती हैं।
आवागमन
संपादित करें- वायु मार्ग
नूआपाडा का नजदीकी एयरपोर्ट रायपुर विमानक्षेत्र में है। यह एयरपोर्ट 120 किलोमीटर की दूरी पर है और देश के अनेक बड़े शहरों से वायुमार्ग द्वारा जुड़ा है।
- रेल मार्ग
नुआपड़ा रोड रेलवे स्टेशन यहां का करीबी रेलवे स्टेशन है, जो नुआपड़ा नगर से 3 किलोमीटर दूर है। यह रेलवे स्टेशन दक्षिण पूर्व रेलवे के विसाखा पटनम-रायपुर रेल लाइन पर स्थित है।
- सड़क मार्ग
राष्ट्रीय राजमार्ग 353 और राज्य राजमार्ग 3 नुआपड़ा को अन्य शहरों से जोड़ता है। राज्य परिवहन की अनेक बसें नुआपड़ा के लिए चलती रहती हैं।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "Orissa reference: glimpses of Orissa," Sambit Prakash Dash, TechnoCAD Systems, 2001
- ↑ "The Orissa Gazette," Orissa (India), 1964
- ↑ "Lonely Planet India," Abigail Blasi et al, Lonely Planet, 2017, ISBN 9781787011991