नुरेम्बर्ग कानून
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नुरेम्बर्ग कानून १९३५ में नाजी जर्मनी में नुरेम्बर्ग में आयोजित वार्षिक नाजी पार्टी रैली में पेश किया गया यहूदी विरोधी कानून था। कानून में जर्मन के रूप में ऐसे शख्स की व्याख्या की गई थी, जिसके दादा-दादी, नाना-नानी सभी जर्मन खून के थे, जबकि यहूदी ऐसे शख्स को माना गया था, जिसके दादा-दादी, नाना-नानी में से तीन या चार यहूदी थे। एक या दो यहूदी दादा-दादी या नाना-नानी वाले शख्स को मिशलिंग ("मिश्रित रक्त का") का दर्जा दिया गया था। नुरेम्बर्ग कानून यहूदियों को नागरिकता से वंचित करते हुए यहूदियों और अन्य जर्मनों के बीच शादी को निषिद्ध करता था।