नुवाकोट महल 18वीं शताब्दी में नेपाल के राजा पृथ्वी नारायण शाह द्वारा निर्मित एक महल है, जो नेपाल में बागमती प्रांत के नुवाकोट जिले में बिदुर नगर पालिका के अंतर्गत स्थित है।[1][2] हालांकि नुवाकोट, बागमती प्रांत में नुवाकोट महल के अतिरिक्त अन्य और आठ महल भी है इसी कारण इसे नुवाकोट अर्थात नौ किला कहा जाता है।

नुवाकोट महल

2015 में नुवाकोट महल
सामान्य विवरण
प्रकार महल
वास्तुकला शैली नेपाल वास्तुकला
स्थान नुवाकोट, बागमती प्रांत, नुवाकोट जिला, बागमती प्रांत
राष्ट्र Nepal
निर्देशांक 27°54′50″N 85°09′53″E / 27.913760831186664°N 85.16475430315691°E / 27.913760831186664; 85.16475430315691निर्देशांक: 27°54′50″N 85°09′53″E / 27.913760831186664°N 85.16475430315691°E / 27.913760831186664; 85.16475430315691
शुरुवात 18वी शताब्दी

ऐतिहासिक महत्व

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इसके भौगोलिक महत्व के कारण ही यहाँ बने किले को गोरखा साम्राज्य सहित कई पड़ोसी राज्यों द्वारा बार-बार जीतने का प्रयास किया गया था। आधुनिक नेपाल के संस्थापक पृथ्वी नारायण शाह ने 26 सितंबर, 1744 को एक आश्चर्यजनक हमला करके पहाड़ी किले पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद मल्ल राजा जय प्रकाश मल्ल ने अगले वर्ष नुवाकोट किले पर जीत हासिल करने का एक अंतिम प्रयास किया, तब कासी राम थापा के नेतृत्व में मल्ल सेना ने नालदुम में गोरखा सेना को हराया था। हालांकि, गोरखा सेना हमले को विफल करने में सफल रही और इस किले को गोरखा नियंत्रण में एक स्थायी किले के रूप में सुरक्षित कर लिया गया। बाद में निर्धारित किया गया कि यह महल काठमांडू उपत्यका (काठमांडू, पाटन, भडगांव) में सभी तीन मल्ल साम्राज्यों की अंतिम विजय के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में काम करेगा, यह अंतिम विजय का प्रयास 1768 और 1769 में पृथ्वी नारायण शाह के विरुद्ध रहा था।[3][4][5]

यह किला नेपाल के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 1792 में नेपाल-चीन संघर्ष के दौरान जनरल फू-कांग-एन के तहत चीनी सेना ने किले पर कब्जा कर लिया था। चीन के साथ युद्ध समाप्त होने के तुरंत बाद यह 1793 में ब्रिटिश दूत कैप्टन विलियम जे॰ किर्कपैट्रिक और कार्यवाहक रीजेंट बहादुर शाह के बीच पहली मुलाकात का स्थान भी बना था।[6]

वर्तमान स्थिति

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नुवाकोट महल को वर्तमान में अप्रैल 2015 के नेपाल भूकंप के बाद पुनर्निर्मित किया जा रहा है क्योंकि भूकम्प ने परिसर को तबाह कर दिया था। इसके अतिरिक्त नुवाकोट महल को 2008 में युनेस्को की संभावित साइट के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।[1][2][7][8]

इन्हें भी देखें

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  1. "Reconstruction work on Sat Tale Durbar in Nuwakot affected by pandemic". The Kathmandu Post (English में). अभिगमन तिथि 31 March 2021.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  2. Gajurel, Ram Hari (4 February 2017). "Historic Nuwakot Palace awaits renovation". My Republica (अंग्रेज़ी में). मूल से 31 मार्च 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 31 March 2021.
  3. Stiller, Ludwig F. (1973). The Rise of the House of Gorkha. New Delhi: Manjusri Publishing House. पपृ॰ 106–111.
  4. Stiller, Ludwig F. (1973). The Rise of the House of Gorkha. New Delhi: Manjusri Publishing House. पपृ॰ 110–111.
  5. Sanwal, B.D. (1993). Social and Political History of Nepal. New Delhi: Manohar. पृ॰ 120. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-7304-021-4.
  6. Kirkpatrick, William J. (1811). An Account of the Kingdom of Nepaul: Being The Substance Of Observations Made During A Mission To That Country, In The Year 1793. London: W Bulmer and Co. पपृ॰ 114–118.
  7. "Nuwakot Palace Complex". UNESCO World Heritage Centre (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 31 March 2021.
  8. "Nuwakot palace ravaged". The Kathmandu Post (English में). अभिगमन तिथि 31 March 2021.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)