1934 नेपाल बिहार भुकम्प

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(नेपाल बिहार भुकम्प से अनुप्रेषित)

'1934 नेपाल-बिहार भूकंप या 1934 बिहार-नेपाल भूकंप नेपाल और बिहार, भारत के इतिहास में सबसे खराब भूकंप में से एक था। यह 8.0 परिमाण के भूकंप ०२:१३ के आसपास १५ जनवरी को आया था। इस भूकंप के कारण बहुत तबाही मची थी।

1934 नेपाल-बिहार भूकंप
1934 नेपाल बिहार भुकम्प is located in नेपाल
1934 नेपाल बिहार भुकम्प
Kathmandu
Kathmandu
परिमाण 8.0 ṃ[1]
गहराई 15 कि॰मी॰ (49,000 फीट)[1]
अधिकेन्द्र स्थान 26°52′N 86°35′E / 26.86°N 86.59°E / 26.86; 86.59निर्देशांक: 26°52′N 86°35′E / 26.86°N 86.59°E / 26.86; 86.59[1]
प्रभावित देश या इलाके India, Nepal
अधि. तीव्रता XI (Extreme)
हताहत 10,700–12,000

हमारे बाबा स्वर्गीय श्री रघुनाथ त्रिपाठी जी बताते थे कि भूकंप के समय हम पशुओं को खिलाने वाले नाद के पास खड़े थे सुमेश्वर नाद में पानी भर चुका था भूकंप के बाद नाद से पानी बाहर आ गया था। गड्ढों में भरा पानी भी बाहर आ गया था जमीन जगह-जगह फट गई थी। उसके बाद भीषण अकाल और बहुत ही महामारियों का प्रकोप हुआ था। जमीन 6 से 12 फुट लहर मार रही थी तथा जमीन बड़े पैमाने पर धस गयी थी। आधे से 27 फिट चौड़ाई और 50 फिट गहराई में जगह जगह दरारें पड़ गई थी।नदियो के पाट सिकुड़ कर मिट्टी नदी के बीच में आ गया था। पीने का पानी गायब हो गया था। ध्वत घरों में बर्तन और खाने का सामान दब गया था भूकंप के बाद चारों तरफ तबाही का मंजर था। उन्होँने कहा था कि उनके पिता जी ने उन्हें बताया था कि 70 वर्ष पहले भी भयानक भूकंप आया था। जिसमें बहुत कम लोग बचे थे।उस समय वे लोग बुढियाबारी नामक ग्राम में रहते थे।

भूकंप के बाद गांधी का दौरा

सीतामढी में एक भी घर नहीं बचा। भागलपुर जिले में कई इमारतें ढह गयीं। पटना में, बाज़ार में कई इमारतें नष्ट हो गईं और नदी के किनारे क्षति विशेष रूप से गंभीर थी।[2] मधुबनी के पास राजनगर में सारी कच्ची इमारतें ढह गईं। प्रसिद्ध नवलखा पैलेस सहित दरभंगा राज की इमारतें गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गईं। झरिया में भूकंप के कारण भूमिगत आग और फैल गई। बीरगंज शहर को काठमांडू की टेलीफोन लाइन सहित नष्ट कर दिया गया।

महात्मा गांधी ने बिहार राज्य का दौरा किया था। उन्होंने लिखा है कि बिहार भूकंप अस्पृश्यता उन्मूलन में भारत की विफलता के लिए संभावित प्रतिशोध था।[3] रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने बयान में तर्कहीनता पर अपराध किया और गांधी पर अंधविश्वास का आरोप लगाया, भले ही वे छुआछूत के मुद्दे पर गांधी के साथ पूरी तरह से सहमत थे।[4][5] बिहार में, श्री बाबू (श्री कृष्ण सिन्हा) और अन्य महान नेता अनुग्रह बाबू (अनुग्रह नारायण सिन्हा) ने राहत कार्य में खुद को झोंक दिया।[6]

  1. ISC (2015), ISC-GEM Global Instrumental Earthquake Catalogue (1900–2009), Version 2.0, International Seismological Centre, मूल से 25 नवंबर 2016 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 29 अक्तूबर 2019
  2. "बिहार में भूकंप से हजारों लोगों की हुई थी मौत, जानिए साल 1934 के भूकंप की खौफनाक कहानी".
  3. Chakrabarty, Bidyut (2006). Social and Political Thought of Mahatma Gandhi. Routledge Studies in Social and Political Thought. Taylor & Francis. पृ॰ 101. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-415-36096-8.
  4. "When Tagore accused Gandhi of superstition".
  5. "Suggesting religious reasons for quakes isn't new: Mahatma Gandhi did that in 1934".
  6. Ramaswami Venkataraman; India. Ministry of Information and Broadcasting. Publications Division (1990). So may India be great: selected speeches and writings of President R. Venkataraman. Publication Division, Ministry of Information and Broadcasting, Govt. of India.