महान युवा विचारक क्रान्तिकारी भगत सिंह ने औपनिवेशिक गुलामी के विरुद्ध भारत के क्रान्तिकारी आन्दोलन को नया वैचारिक आधार देने और नये सिरे से संगठित करने के लिए अपने साथियों के साथ मिलकर जब एक नयी शुरुआत की तो उनका पहला महत्वपूर्ण कदम था, 1926 में नौजवान भारत सभा के झण्डे तले नवयुवकों को संगठित करना। इसके दो वर्षों बाद भगतसिंह और उनके साथियों ने ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ नामक नये क्रान्तिकारी संगठन की स्थापना की और स्पष्ट शब्दों में यह घोषणा की कि औपनिवेशिक सत्ता को उखाड़ फेंकने के बाद भारत की आम जनता को पूँजीवाद के ख़ात्मे और समाजवाद की स्थापना के लिए संघर्ष करना होगा।

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