नौरोज़ त्यौहार
कजाकिस्तान और मध्य एशिया के अन्य देशों में वर्ष के पहले दिन के रूप में 22 मार्च को मनाया जाने वाला यह एक गैर धार्मिक उत्सव है। यहमहाविषुव या वसंत के समय दिन और रात के बराबर होने के दिन मनाया जाता है। यह प्रकृति प्रेम का उत्सव है।
उत्सव की तैयारी
संपादित करेंइसकी पूर्व-संध्या पर, लोग अपने घरों की सफ़ाई करते हैं, अपने उधार चुका देते हैं और अपने विरोधियों सेबैर मिटाते हैं क्योंकि यह माना जाता है कि नौरिज़ के घर में आने के बाद सभी बीमारियाँ और विफलताएँ दूर हो जाएँगी। इस शाम को घर के सभी बर्तन दूध, आइरन (दही), अनाज और झरने के पानी से भरे जाते हैं जो आने वाले वर्ष में प्रचुरता काप्रतीक है। सहेतग
उत्सव का आरंभ
संपादित करेंसूर्योदय के साथ ही उत्सव शुरु हो जाता है। सुबह, सभी वयस्क, नवयुवक और बच्चे फावड़े उठाते हैं, किसीझरने या आरिक (छोटी नहर) पर जाते हैं और उसे साफ़ करते हैं। वे सम्माननीय वृद्धलोगों के मार्गदर्शन में पेड़ भी लगाते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान, उन्हें कहनापड़ता है: ‘’लोगों की स्मृति में एक पूरा झुण्ड छोड़कर जाने से अच्छा है एक पेड़छोड़कर जाना’’ और ‘’यदि आप एक पेड़ काटेंगे तो आपको दस पेड़ लगाने होंगे!’’
इस रिवाज़ के पूरा होने के बाद, चमकीले कपड़ों में सजे तीन हरकारे पूरे गाँव में सबको उत्सव में शामिलहोने का निमंत्रण देते हैं। कभी-कभी ये कज़ाक परीकथाओं के हीरोज़, अल्डर कोसे, झिरेन्शी और सुन्दर काराशश की तरह भी सजते हैं।
खान-पान
संपादित करेंउत्सव के भोज के लिए नौरिज़ कोज़े (दही वाला सूप) बनाया जाता है। दोपहरमें एक बैल की बलि दी जाती है और उसके माँस से एक विशेष पकवान बनाया जाता है। इसेबेल-कोटरर (शरीर को सीधा करने वाला) कहा जाता है। इसे बनाने के लिए केवल एक नियम का ध्यान रखना पड़ता है और वो ये कि इसमें पड़ने वालीवस्तुओं की संख्या सात होनी चाहिए। सात का अंक सप्ताह के सात दिनों काप्रतिनिधित्व करता है। प्रत्येक परिवार में दोपहर को लोग दस्तरखान बिछाकर बैठते हैं। भोजन से पूर्व और पश्चात मुल्ला पूर्वजों को समर्पित प्रार्थनाएँ पढ़ताहै। भोजन के अंत में, सबसे बुजुर्ग व्यक्ति आशीर्वाद देता है। इस दिन अक्साकल (वृद्ध) और आजे (बूढ़ी महिला) के होठों सेआशीर्वाद पाना बहुत बड़ा सम्मान माना जाता है।
विभिन्न आयोजन
संपादित करेंउत्सवमें, सबके साथ खेलने वाले खेल, पारंपरिक घुड़दौड़ और अन्य प्रतिस्पर्धाएँ शामिलहोती हैं। ‘’आइकिश-उइशिश’’ (एक दूसरे की ओर) और ‘’औदरीस्पेक’’ (अच्छे घुड़सवार) इस उत्सव के लोकप्रिय खेल हैं। लड़के और लड़कियाँ दोनों ही इनमें भाग लेते हैं। दिन के अंत में मुशायरा होता है। दो अकिन (शायर) एक गायनप्रतियोगिता में भाग लेते हैं। स्पर्धा दिन डूबने पर समाप्त होती है जब, आम धारणाके अनुसार अच्छाई ने बुराई को हराया था। यह त्योहार, लोगों के आग जलाने, गाँव मेंमशालें लेकर निकलने और नाचने-गाने के साथ समाप्त होता है।