न्यायिक विज्ञान या न्यायालयिक विज्ञान (forensic science) भिन्न-भिन्न प्रकार के विज्ञानों का उपयोग करके न्यायिक प्रक्रिया की सहायता करने वाले प्रश्नों का उत्तर देने वाला विज्ञान है। ये न्यायिक प्रश्न किसी अपराध से सम्बन्धित हो सकते हैं या किसी दीवानी (civil) मामले से जुड़े हो सकते हैं।

अमेरिकी सेना के सीआईडी विभाग के लोग एक अपराध के घटना-स्थल की छानबीन करते हुए

न्यायालयीय विज्ञान मुख्यतः अपराध की जांच के लिए वैज्ञानिक सिद्धांतों के अनुप्रयोग से संबंधित है। फॉरेंसिक वैज्ञानिक अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से अपराध स्थल से एकत्र किए गए सुरागों को अदालत में प्रस्तुत करने के वास्ते स्वीकार्य सबूत के तौर पर इन्हें परिवर्तित करते हैं। यह प्रक्रिया अदालतों या कानूनी कार्यवाहियों में विज्ञान का प्रयोग या अनुप्रयोग है। फ़ॉरेंसिक वैज्ञानिक अपराध स्थल से एकत्र किए जाने वाले प्रभावित व्यक्ति के शारीरिक सबूतों का, विश्लेषण करते हैं तथा संदिग्ध व्यक्ति से संबंधित सबूतों से उसकी तुलना करते हैं और न्यायालय में विशेषज्ञ प्रमाण प्रस्तुत करते हैं। इन सबूतों में रक्त के चिह्न, लार, शरीर का अन्य कोई तरल पदार्थ, बाल, उंगलियों के निशान, जूते तथा टायरों के निशान, विस्फोटक, जहर, रक्त और पेशाब के ऊतक आदि सम्मिलित हो सकते हैं। उनकी विशेषज्ञता इन सबूतों के प्रयोग से तथ्य निर्धारण करने में ही निहित होती है। उन्हें अपनी जांच की रिपोर्ट तैयार करनी पड़ती है तथा सबूत देने के लिए अदालत में पेश होना पड़ता है। वे अदालत में स्वीकार्य वैज्ञानिक सबूत उपलब्ध कराने के लिए पुलिस के साथ निकटता से काम करते हैं।

विशेषज्ञता के क्षेत्र

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  • न्यायालयीय रोग विज्ञान/चिकित्सा :
  • न्यायालयीय मानव विज्ञान
  • न्यायालयीय मनोविज्ञान
  • न्यायालयीय मनोविकृति विज्ञान
  • न्यायालयीय दन्तचिकित्सा (दन्त विज्ञान)
  • क्लीनिकल न्यायालयीय चिकित्सा
  • न्यायालयीय सीरम विज्ञान
  • न्यायालयीय रसायनज्ञ
  • न्यायालयीय भाषाविज्ञान
  • अस्त्र विज्ञान
  • न्यायालयीय इंजीनियर

न्यायिक विज्ञान के सिद्धान्त

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न्यायालिक विज्ञान एक ऐसा विषय है जिसमे अपराधिक अन्वेषण और सबूतों का परिक्षण किया जाता है इन परीक्षणों को करने के लिए कुछ सिद्धांत बनाये गए है जो इस प्रकार है :

लोकार्ड का विनियम का सिद्धान्त (Locard's principle of exchange)- जब कोइ दो व्यक्ति वस्तु एक दुसरे के स्पर्श मे आती है तो दोनो का आपस मे एक दुसरे की सतह पर दोनो के कुछ अशं का आदान पर्दान हो जाता है|

सम्भावना का सिद्धान्त -किसी वस्तु,स्थान और व्यक्ति सम्भावना के आधार पर पहचानना और उस पर दहन करना।

तथ्य का सिद्धान्त- यह सिद्धान्त कहता है की मनुष्य झूठ बोल सकता है पर तथ्य कभी झूठ नही बोलते।

समानता का सिद्धान्त - हमेसा एक समान और एक ही जैसी वस्तुओं का आपस मे  मिलान किया जाता है

विशिष्टता का सिद्धान्त -  सभी वस्तु व्यक्ती की अपनी एक एकताई होती है चाहे वो एक समान परतित हो अथवा एक ही  पर्कार से तैयार किया गया हो परन्तु सभकी अपनी विशेषता होती है.

जांच का सिद्धान्त- किसी भी तथ्य की जांच उस तथ्य की सुध्दता और उसकी स्थिति पर निरभर करती है। बदलाव का नियम - हर व्यक्ति वस्तु का समय के साथ उसमे बदलाव आता है जिसे बदलाव का नियम कहते हैं।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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