पंचद्रविड़
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पंचद्रविड़ का शाब्दिक अर्थ है- पांच द्रविड़।[उद्धरण चाहिए] अर्थात् पाँच विशेष क्षेत्र जो द्रविडको अग्रपंक्तिमे लेता हो- द्रविड,कर्णाटक, तैलंग, गुर्जर,और महाराष्ट्र किन्तु बाद में यह पद उन समस्त उच्चकुलीन ब्राह्मणों के लिए प्रयुक्त होने लगा | स्कन्दपुराणके अनुसार विन्ध्याचल के दक्षिण में मूलतः वैदिक वर्णाश्रमधर्मावलम्वि जनके एक ब्राह्मण समुह रहते है जिनको पंचद्रविड कहते हैं| द्राविडाः, कार्णाटकाः,तैलंगाः, गौर्जराः,और महाराष्ट्राः ये पंचद्रविड कहलाते थे| ये लोग तेलंगाना, आँध्रप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्णाटक और तमिलनाडु आदि प्रदेशों में निवास करते थे या विभिन्न कारणों से अपना मूल प्रदेश छोड़ कर अन्यत्र- खास तौर पर उत्तर भारत में बस गए। गुजरात के ब्राह्मण भी इसमें शामिल हुए।[उद्धरण चाहिए] 'ब्राह्मनोत्पत्ति-दर्पण' में एक श्लोक इन पंचद्रविड़ विप्रों के अधिवास के सन्दर्भ में इस प्रकार आता है-
"कर्णाटकाश्च तैलंगा:द्रविणाश्च तपोधनाः | महाराष्ट्राः गुर्जराश्च पंचद्रविड बन्धवः ||[उद्धरण चाहिए] पंचद्रविणविख्याताःविन्ध्यदक्षिणवासिनः॥"[उद्धरण चाहिए]