पंजाबी विश्वविद्यालय
पंजाबी विश्वविद्यालय, (पंजाबी:ਪੰਜਾਬੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ, अंग्रेजी:Punjabi University) भारत के पंजाब राज्य के शहर पटियाला में स्थित एक विश्वविद्यालय है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 30 अप्रैल 1962 को हुई थी। इस विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य पंजाबी भाषा के विकास और पंजाबी संस्कृति के प्रसार को प्रोत्साहित करना था। यह विश्व का दूसरा ऐसा विश्वविद्यालय है जिसका नाम किसी भाषा के नाम पर रखा गया है, पहला विश्वविद्यालय, इब्रानी (हिब्रू) विश्वविद्यालय, इस्राइल है।
पंजाबी विश्वविद्यालय | |
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ਪੰਜਾਬੀ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ | |
आदर्श वाक्य: | ਵਿਦਿਆ ਵੀਚਾਰੀ ਤਾ ਪਰਉਪਕਾਰੀ (विदिया वीचारी ता परऊपकारी) (शिक्षा सशक्त बनाती है) |
स्थापित | 1962 |
प्रकार: | सार्वजनिक |
कुलाधिपति: | बनवारी लाल पुरोहित |
कुलपति: | डॉ॰ अरविंद |
विद्यार्थी संख्या: | 15000+ |
अवस्थिति: | पटियाला, पंजाब, भारत
(30°22′N 76°27′E / 30.36°N 76.45°Eनिर्देशांक: 30°22′N 76°27′E / 30.36°N 76.45°E) |
परिसर: | शहरी |
सम्बन्धन: | यूजीसी |
जालपृष्ठ: | www.punjabiuniversity.ac.in |
पंजाबी विश्वविद्यालय का परिसर 316 एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला है और बागों के शहर पटियाला से ७ किलोमीटर दूर चंडीगढ़ रोड पर स्थित है। विश्वविद्यालय में 55 विभाग कार्यरत हैं। विश्वविद्यालय में मानविकी और विज्ञान के क्षेत्र में, ललित कला, कम्प्यूटर विज्ञान और व्यवसायिक प्रबंधन जैसे विषयों के अध्ययन की व्यवस्था है। यहाँ लगभग 15000 छात्र शिक्षा प्राप्त करते हैं।
बनवारी लाल पुरोहित विश्वविद्यालय के कुलपति और डॉ अरविंद उपकुलपति हैं।
इतिहास
संपादित करेंपंजाबी विश्वविद्यालय को 30 अप्रैल 1962 को पंजाबी विश्वविद्यालय अधिनियम-1961 के तहत एक आवासीय और शिक्षण विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित किया गया था। स्थापना के समय यह एक सम्बद्ध विश्वविद्यालय नहीं था। अपनी स्थापना के समय, इसने अपना कार्य पटियाला के बारादरी महल के अस्थायी कार्यालय से शुरू किया था। प्रारंभ में विश्वविद्यालय का क्षेत्राधिकार पटियाला शहर से 10 मील (16 किमी) की त्रिज्या का क्षेत्र निर्धारित किया गया था और इसके अधिकार क्षेत्र में पटियाला शहर में स्थित केवल नौ कॉलेज आते थे जिनमें से छह पेशेवर और तीन कला और विज्ञान के कॉलेज थे। विश्वविद्यालय को 1965 में इसके वर्तमान परिसर में ले जाया गया। विश्वविद्यालय का परिसर 316 एकड़ में फैला है। इस हरे भरे और प्रदूषण से मुक्त परिसर में विश्वविद्यालय की भव्य इमारतें स्थित हैं। विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर की सुविधायें उपलब्ध कराता है।
हालांकि विश्वविद्यालय की स्थापना का मुख्य उद्देश्य पंजाबी भाषा को विकसित करना और उसके प्रयोग को प्रोत्साहित करना था, लेकिन उपरांत में यह एक बहुपक्षीय, बहु संकाय शैक्षिक संस्था के रूप में विकसित हुआ। 1969 में यह एक सम्बद्ध विश्वविद्यालय बना और पटियाला, संगरूर और बठिंडा जिले के 43 कॉलेजों को इससे संबद्ध किया गया। तब से, यह काफी विकसित हुआ है और देश में शिक्षा और अनुसंधान का एक प्रमुख केंद्र बन गया है। आज पंजाब के नौ जिलों में फैले 138 कॉलेज इससे संबद्ध हैं। संबद्ध कॉलेज पटियाला, बरनाला, फतेहगढ़ साहिब, संगरूर, बठिंडा, मानसा, मोहाली, रूपनगर और फरीदकोट जिलों में स्थित हैं।
परिसर
संपादित करेंसुविधायें और उपलब्धियां
संपादित करेंप्रमुख स्थल
संपादित करें- गुरु गोबिंद सिंह भवन
- गुरु तेग बहादुर हॉल
- भाई काह्न सिंह नाभा- केन्द्रीय पुस्तकालय
- विज्ञान सभागार
- स्कूल ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज (एसएमएस)
- भगवान दास जलपानगृह
- गोल मार्केट
- टी-पॉइंट
- नई पकवान
- युनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग
- वेलोड्रम
पूर्व उपकुलपति
संपादित करें- डॉ॰ जोध सिंह (1962-1966)
- डॉ॰ किरपाल सिंह नारंग (1966-1975)
- श्रीमती इंद्रजीत कौर संधू (1975-1977)
- डॉ॰ अमरीक सिंह (1977-1980)
- डॉ॰ भगत सिंह शेरगिल (1980-1983 और 1986-1989)
- डॉ॰ सरदारा सिंह जोहल (1983-1986)
- डॉ॰ एच.के. मनमोहन सिंह (1989-1993)
- डॉ॰ जोगिंदर सिंह पुआर (मई 1993-मई 1999)
- डॉ॰ जसबीर सिंह अहलूवालिया (मई 1999- अप्रैल 2002)
- स. स्वर्ण सिंह बोपाराय (अगस्त 2002- नवंबर 2007)