पंढरपुर

भारत के महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर ज़िले में स्थित एक नगर

पंढरपुर (Pandharpur) भारत के महाराष्ट्र राज्य के सोलापुर ज़िले में स्थित एक नगर है। यह भीमा नदी के किनारे बसा हुआ है।[1][2]

पंढरपुर
Pandharpur
भीमा नदी के सम्मुख पंढरपुर मन्दिर
भीमा नदी के सम्मुख पंढरपुर मन्दिर
पंढरपुर is located in महाराष्ट्र
पंढरपुर
पंढरपुर
महाराष्ट्र में स्थिति
निर्देशांक: 17°40′41″N 75°19′41″E / 17.678°N 75.328°E / 17.678; 75.328निर्देशांक: 17°40′41″N 75°19′41″E / 17.678°N 75.328°E / 17.678; 75.328
देश भारत
प्रान्तमहाराष्ट्र
ज़िलासोलापुर ज़िला
ऊँचाई450 मी (1,480 फीट)
जनसंख्या (2011)
 • कुल98,923
भाषाएँ
 • प्रचलितमराठी
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)
पिनकोड413304
दूरभाष कोड02186

पंढरपुर वारकारी संप्रदाय या विट्ठल संप्रदाय का केंद्र है। विट्ठल संप्रदाय के महान संत ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, तुकाराम, सखूबाई चोखामेला महार और कर्मामेला महार आदि हुए हैं। विट्ठल संप्रदाय ने जन्म आधारित जाति व्यवस्था ऊंच-नीच अस्पृश्यता का विरोध किया और सन्यास के विचार का विरोध कर सांसारिक जीवन में रहकर दुखी और परित्यक्त लोगों की सेवा करना मानव का परम कर्तव्य माना । पंढरपुर नगर, दक्षिणी महाराष्ट्र राज्य, पश्चिमी भारत में स्थित है। यह भीमा नदी (घुमावदार बहाव के कारण यहाँ चंद्रभागा कहलाती है) के तट पर सोलापुर नगर के पश्चिम में स्थित है। सड़क और रेल मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचने योग्य पंढरपुर एक धार्मिक स्थल है, जहां साल भर करोडों हिंदू तीर्थयात्री आते हैं। भगवान विष्णु के अवतार बिठोबा और उनकी पत्नी रुक्मिणी के सम्मान में इस शहर में वर्ष में चार बार त्योहार मनाए जाते हैं। मुख्य मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में देवगिरी के यादव शासकों द्वारा कराया गया था। यह शहर भक्ति संप्रदाय को समर्पित मराठी कवि संतों की भूमि भी है।

पंढरपुर का सबसे पुराना उल्लेख 516 ई. के राष्ट्रकूट युग के ताम्रपत्र शिलालेख से मिलता है। जैसा कि शिलालेखों से पता चलता है, 11वीं और 12वीं शताब्दी में यादव राजाओं ने मंदिर को कई दान दिए। आदिलशाही के युग में, अधिकांश शहर अफ़ज़ल खान द्वारा नष्ट कर दिया गया था। पूरे महाराष्ट्र से संत अभी भी वार्षिक तीर्थयात्रा के लिए यहां एकत्र होते थे और इस तरह पंढरपुर भक्ति आंदोलन का केंद्र बन गया, जिसने सामाजिक-धार्मिक सुधार की

भारत नींव रखी। इसके परिणामस्वरूप नया सामाजिक संश्लेषण हुआ जिसने आगे चलकर मराठा साम्राज्य की नींव रखी।18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में मराठों के अधीन पुणे के पेशवाओं, ग्वेलोर के सिंधिया और इंदौर के होलकर के अधीन मंदिर और शहर का पुनर्निर्माण किया गया था।[3]

जनसांख्यिकी

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की 2011 की जनगणना के अनुसार, पंढरपुर की जनसंख्या 98,000 थी।[4] जनसंख्या में पुरुष 52% और महिलाएँ 48% हैं। 71% जनसंख्या साक्षर थी; 78% पुरुष और 64% महिलाएँ। मराठी लोगों की आधिकारिक और मुख्य भाषा है। यह महाराष्ट्र का एक प्रमुख पवित्र स्थान है और इसे महाराष्ट्र में दक्षिण काशी भी कहा जाता है। यह भीमा नदी के तट पर स्थित भगवान विट्ठल मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। प्रति वर्ष 4 यात्राएं (वारी- तीर्थयात्रियों/भक्तों का जमावड़ा) होती हैं, चैत्री, आषाढ़ी, कार्तिकी और माघी, जिनमें आषाढ़ी और कार्तिकी प्रमुख हैं। श्रद्धालु पूरे महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों से आते हैं। वे आम तौर पर अपने गृहनगर से सैकड़ों मील पैदल चलकर आते हैं।

इन्हें भी देखें

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  1. "RBS Visitors Guide India: Maharashtra Travel Guide Archived 2019-07-03 at the वेबैक मशीन," Ashutosh Goyal, Data and Expo India Pvt. Ltd., 2015, ISBN 9789380844831
  2. "Mystical, Magical Maharashtra Archived 2019-06-30 at the वेबैक मशीन," Milind Gunaji, Popular Prakashan, 2010, ISBN 9788179914458
  3. "Pandharpur".
  4. "Pandharpur Town Population Census 2011 - 2024".