पगहीन छिपकली (Legless lizard) ऐसी छिपकली की जीववैज्ञानिक जाति होती है जिसकी टांगे नहीं होती या फिर इतनी छोटी होती हैं कि उन्हें चलने के लिए प्रयोग नहीं करा जाता। पायगोपोडिडाए कुल की सभी छिपकलियाँ पगहीन होती हैं, लेकिन कुछ अन्य कुलों में भी पगहीन छिपकियाँ पाई जाती हैं।[1][2][3]

यूरोप में मिलने वाली एक पगहीन छिपकली जाति

साँप से भिन्न पहचान

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इन्हें देखने में गलती से अक्सर साँप समझ लिया जाता है, लेकिन कई लक्षणों से उन्हें अलग पहचाना जा सकता है। पगहीन छिपकली की आंखों पर पलकें होती हैं, जिनसे वह आँखें मीच सकती हैं, लेकिन साँप की आंखें खुली ही रहती हैं। पगहीन छिपकली में कानों के लिए छिद्र होते हैं, लेकिन साँपों में नहीं। सर्प की जिह्वा गहरी बंटी हुई होती है, लेकिन पगहीन छिपकली की नहीं (उसमें केवल हलका सा बंटवारा होता है)। पगहीन छिपकली की पूँछ भी धड़ के मुख्य भाग से अलग साँपों से अधिक लम्बी पहचानी जा सकती हैं।

इन्हें भी देखें

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  1. Gibbons, J. Whitfield; Gibbons, Whit (1983). Their Blood Runs Warm: Adventures With Reptiles and Amphibians. Alabama: University of Alabamain Press. p. 164. ISBN 978-0-8173-0135-4.
  2. James Macartney: Table III in: George Cuvier (1802) "Lectures on Comparative Anatomy" (translated by William Ross under the inspection of James Macartney). Vol I. London, Oriental Press, Wilson and Co.
  3. Alexandre Brongniart (1800) "Essai d’une classification naturelle des reptiles. 1ère partie: Etablissement des ordres." Bulletin de la Science. Société Philosophers de Paris 2 (35): 81-82