पचराही भारत के छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम जिले का एक छोटा सा कस्बा है। हाल में ही यहाँ पुरातात्विक उत्खनन में प्राचीन मंदिर, बैल, लोहे का चुल्हा सहित कई सिक्के मिले हैं। इससे पचराही पुरातात्विक विशेषताओं को लेकर राष्ट्रीय परिदृश्य पर उभर आएगा। कल्चुरी राजाओं के इतिहास का गवाह यह इलाका देश के खास उत्खनन केंद्रों में गिना जाने लगा है।

पचराही एक नैसर्गिक और पुरातात्विक स्थल है। पुरातनकाल में राजाओं ने इस स्थान पर मंदिर व शहर इसलिए बसाया था क्योंकि वर्तमान कंकालिन मंदिर के पास आकर हाफ नदी उत्तर-पूर्व दिशा में बह रही है। जिन स्थानों पर नदी उत्तर यानी ईशान कोण में बहती है वह भाग हिन्दुशास्त्रों के मुताबिक सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। ईशान कोण पर ईश्वर का निवास होता है। पचराही की भांति ही छत्तीसगढ़ में मदकू-द्वीप, सिरपुर भी ईशान कोण पर बहती है।

वहीं इलाहाबाद, अयोध्यावाराणसी में गंगा, सरयू ईशान कोण की ओर बहती है। इन स्थलों पर शहर व मंदिर बसाने का यह भी अभिप्राय रहा है। श्री शर्मा ने बताया कि पचराही की सभ्यता इलाहाबाद आयोध्या व वाराणसी के समान है जहां उत्खनन प्रारंभ होते ही अनेक ऐतिहासिक चीजें मिली है।

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