पञ्च तत्त्व (वैष्णव धर्म)

हिंदू धर्म की गौड़ीय वैष्णव परम्परा में पञ्चतत्व भगवान या पूर्ण सत्य के पांच पक्षों को कहते है।

वैष्णव वेदी पर पञ्चतत्त्व (बाएँ से क्रमशः अद्वैत आचार्य, नित्यानन्द, चैतन्य महाप्रभु, गदाधर भट्ट, और श्रीवास ठाकुर)

पृष्ठभूमि संपादित करें

गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय की मान्यता के अनुसार भगवान ( कृष्ण ) के ये पांच गुण 15 वीं शताब्दी के अंत में पृथ्वी पर पांच लोगों ( चैतन्य महाप्रभु, नित्यानंद, अद्वैत आचार्य, गदाधर पंडित और श्रीवास ठाकुर ) के रूप में अवतरित हुए थे। सर्वविदित है कि उन्होंने पूरे भारत में कृष्ण मंत्र और कृष्ण के प्रति भक्ति ( भक्ति ) का प्रसार किया।