पद्म नोर्बु रिन्पोछे
पद्म नोर्बु रिन्पोछे , पद्नोर रिन्पोछे या ड्रुब्वाङ पद्म नोर्बु रिन्पोछे (तिब्बती: པདྨ་ནོར་བུ་, Wylie: pad ma nor bu, 1932 - मार्च 27, 2009) ञिङमा पल्युल सांप्रदायिक मठ के ग्यारहवें सिंहासन-धारक और ञिङमा संप्रदाय के तीसरे परम प्रमुख गुरु हैं। उन्हें भारतीय बौद्ध धर्म के महापण्डित विमलमित्र के अवतार के रूप में भी माना जाता है। बौद्ध वज्रयान महासन्धि शिक्षण परंपरा का सुविज्ञ गुरु होने की कारण से तिब्बती बौद्ध की दुनिया में व्यापक रूप से प्रसिद्ध थे।
जीवनी
संपादित करेंपल्युल संप्रदाय के साथ जुड़े पद्म नोर्बु रिन्पोछे का क्रमिक अवतार
संपादित करें- सिद्धेश्वर पद्म नोर्बु (पहला अवतार और पल्युल संप्रदाय के तीसरे सिंहासन धारक)
- सिद्धेश्वर पल्छेन दुस्प (दूसरा अवतार और पल्युल संप्रदाय के नौवें सिंहासन धारक)
- सिद्धेश्वर पद्म नोर्बु रिन्पोछे या थुब्तन शद्ड्रुब छोस्क्यी ड्रयांस् (तीसरे अवतार और पल्युल संप्रदाय के ग्यारहवाँ सिंहासन धारक)
- मिग्युर देछेन गरवाङ सिल्नोन् दोर्जे (वर्तमान चौथा अवतार और पल्युल सम्प्रदाय की आगामी सिंहासन धारक)
पल्युल संप्रदाय
संपादित करेंपल्युल संप्रदाय तिब्बती बौद्ध धर्म के ञिङमा संप्रदाय शाखा के अंतर्गत। यह विशेष रूप से वज्रयान संप्रदाय गुप्त ज्ञान और विचारों के बारे सम्मेलन और महामुद्र की अभ्यास में प्रचलित है। इसी तरह, कग्युद सम्प्रदाय के विद्वान महासिद्ध ख्यास्ड्रुब कर्मछाग्मेद और पल्युल संप्रदाय के पहेला सिंहासन-धारक विद्याधर कुन्जाङ शेसरब का जीवनकाल से निधिअन्वेषक निर्माणकाया मिग्युर दोर्जे का गगंधर्मा शिक्षण अभ्यास परंपरा से भी गहरी रिश्ते रही है।[1] इस संप्रदाय का परम गुरु और वर्तमान बारहवें सिंहासन धारक कर्म कुछेन रिन्पोछे है। तिब्बत (चीन), नेपाल, भारत, भूटान, ताइवान, मलेशिया, हांगकांग, सिंगापुर, अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, स्विट्जरलैंड और अधिक एशियाई और यूरोपीय देशों में इस संप्रदायका बौद्ध शैक्षिक संस्था और ध्यान केंद्र की शाखाएं हैं।[2]
नाम्ड्रोल्लिङ
संपादित करेंनाम्ड्रोल्लिङ और पूरा नाम (Tibetan: ཐེག་མཆོག་རྣམ་གྲོལ་བཤད་སྒྲུབ་དར་རྒྱས་གླིང་།, Wylie: theg-mchog-rnam-grol-bshad-sgrub-dar-rgyas-ling, Devanagari: थेग्छोग नाम्ड्रोल शद्ड्रुब दरग्यास लिङ) पद्म नोर्बु रिन्पोछे द्वारा सन १९६२ में स्थापित किया गया एक बौद्ध सांप्रदायिक शिक्षा केंद्र है जो विश्व में तिब्बती बौद्ध धर्म की अन्तर्गत ञिङमा सम्प्रदाय का सबसे बड़ा शिक्षा संस्था में से एक है। इस शैक्षिक केंद्र दक्षिण भारत, कर्नाटक, मैसूर जिले की बैलकुप्पे में स्थित है। यह हजारों बौद्ध छात्रों के लिए छात्रावास, शिक्षा केन्द्र, पुस्तकालय, स्कूल, अस्पताल, ध्यान केंद्र इत्यादिका सुविधाओं है।
प्रमुख शिष्य
संपादित करेंपल्युल संप्रदाय के बारहवें सिंहासन धारक पांचवें कर्म कुछेन रिन्पोछे और, क्याबगोन फग्छोग रिन्पोछे, वर्त्तमान नाम्ड्रोल्लिङ मठ के प्रमुख ग्याङखङ रिन्पोछे, मुग्सङ कुछेन रिन्पोछे, खान्पो पद्म शेसरब, खान्पो नाम्ड्रोल छेरिङ, खान्पो छेवाङ ग्याम्छो इत्याति...
सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ Ven. Tsering Lama Jampal Zangpo, A Garland of Immortal Wish-fulfilling Trees: The Palyul Tradition of the Nyingmapa. Snow Lion, (c)1988
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 नवंबर 2016.