परम शिवा हैं जो निराकार हैं, जो साधक शिवघर्म का पालन करते हुए , कुंडलिनी जागृत कर षट् चक्र भेदन कर जब सहस्रार चक्र से होते हुई परम शिवा में लीन होता है ,वही मोक्ष का परम स्थान है. परम शिवा ही सृष्टि के रचनाकार हैं ओर वही देवों के देव महादेव हैं जो काल बन कर शिवधर्म भष्र्ट सृष्टि का विनाश करती है।

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शिव शिव पुराण है। श्रुतियों ने सदा शिव को स्वयम्भू, शान्त, प्रपंचातीत, परात्पर, परमतत्त्व, ईश्वरों के भी परम महेश्वर कहकर स्तुति की है। ‘शिव’ का अर्थ ही है- ‘कल्याणस्वरूप’ 12 KB (727 शब्द) - 09:07, 3 अगस्त 2020