परिचय संपादित करें

परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) द्वारा भारत परमाणु बीमा पूल का शुभारंभ किया गया है।

विस्तार संपादित करें

परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) ने 12 जून 2015 को भारतीय परमाणु बीमा पूल (आइएनआईपी) का शुभारम्भ किया।

आइएनआईपी परमाणु उर्जा जोखिम हस्तांतरण के अंतर्गत विश्व का 27वां बीमा पूल बन गया है, इस श्रेणी में फ्रांस, रूस, दक्षिण अफ्रीका तथा अमेरिका जैसे देश शामिल हैं।

भारतीय परमाणु बीमा पूल (आइएनआईपी) संपादित करें

यह पूल परमाणु ऑपरेटरों और आपूर्तिकर्ताओं के दायित्व के जोखिम को परमाणु क्षति के नागरिक दायित्व की धारा 6 (2) तथा धारा (17) के तहत कवर करेगा।

यह तीन प्रकार की नीतियों पर कार्य करता है, ऑपरेटरों के लिए पॉलिसी, प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं के लिए पॉलिसी तथा प्रमुख आपूर्तिकर्ताओं के अतिरिक्त अन्य आपूर्तिकर्ताओं के लिए पॉलिसी।

प्रीमियम का मूल्य जोखिम की संभावनाओं, हानि के आकलन तथा उस क्षेत्र के आस-पास रह रहे लोगों की मौजूदगी पर निर्भर करेगा।

इसकी देखरेख भारतीय साधारण बीमा निगम (जीआईसी आरई) द्वारा की जाएगी, यह भारत की एकमात्र पुनर्बीमा कंपनी है।

कुल निधि 1500 करोड़ रूपए में जीआईसी आरई तथा अन्य चार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) न्यू इंडिया, ओरिएंटल इंश्योरेंस, नेशनल इंश्योरेंस तथा यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस का निवेश 750 करोड़ है। इसमें ब्रिटिश परमाणु बीमा पूल ने भी 500 करोड़ रुपए का निवेश किया है।

यह राशि अधिनियम के प्रावधान के अनुसार ऑपरेटर को अधिकतम 1500 करोड़ रुपए की देयता प्रदान करता है।

यह हॉट ज़ोन (रेडिएशन तथा परमाणु सयंत्र) तथा कोल्ड ज़ोन (रिएक्टर के बाहर का क्षेत्र) के लिए बीमा कवर प्रदान करेगा। अभी भारत में केवल उन्हीं क्षेत्रों के लिए बीमा सुविधा प्राप्त है जो सयंत्रों तथा रेडिएशन क्षेत्र के बाहर स्थित हैं।

सन्दर्भ संपादित करें

इन्हें भी देखें संपादित करें