2006 भारत अमेरिका परमाणु समझौता
2006 भारत अमेरिका परमाणु समझौता 18 जुलाई 2006 को भारत और अमेरिका के बीच हुआ परमाणु समझौता है। भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमेरिका के राष्ट्रपति जार्ज बुश ने इस समझौते पे हस्ताक्षर किये।
18 जुलाई 2005 को वाशिंगटन में मनमोहन सिंह और अमरीकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने साझा बयान जारी कर इस परमाणु क़रार की घोषणा की थी। मार्च 2006 में जब बुश भारत की यात्रा पर आए तो सैनिक और असैनिक परमाणु रिएक्टरों को अलग करने पर भी सहमति बनी। इसके बाद अमरीकी संसद ने हेनरी हाइड एक्ट पारित किया लेकिन करार को अमली जामा पहनाने से संबंधित 1-2-3 समझौते पर काफी अरसे तक सहमति नहीं बन पाई।[1] 13 जुलाई 2006 को इसे अंतिम रूप दिया गया। समझौते के बाद राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने कहा है कि यह समझौता ” भारत के साथ, जो विश्व का एक महत्त्वपूर्ण नेता है, हमारी गहरी भागीदारी में निरंतर जारी प्रगति की दिशा में एक और कदम है।”[2]
असहमति के मुद्दे
संपादित करेंदो बड़े मुद्दे थे जिन पर दोनों देशों में सहमति नहीं बन पाई थी। भारत की मांग थी कि भविष्य में अगर वह परमाणु परीक्षण करता है, तो उसका इस समझौते पर कोई असर न पड़े। इसके लिये अमेरिकी क़ानून में बदलाव की ज़रूरत पड़ती और अमेरिका इसके लिए तैयार नहीं था। इसके अलावा भारत परमाणु संयत्रों में इस्तेमाल हुए ईंधन पर पूरा हक़ चाहता था। यानी कि बिजली पैदा करने के बाद ईंधन का क्या इस्तेमाल होता है, यह भारत तय करना चाहता था।[3] 18 जुलाई 2006 को इसे अंतिम रूप दिया गया।
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सन्दर्भ
संपादित करें- ↑ "भारत अमेरिका परमाणु समझौता" (सी.एफ.एम). वॉयस ऑफ़ अमेरिका. मूल से 25 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्तूबर 2007.
- ↑ "अमेरिका-भारत नागरिक परमाणु समझौता" (सी.एफ.एम). वॉयस ऑफ़ अमेरिका. मूल से 29 फ़रवरी 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्तूबर 2007.
- ↑ "आज़ाद भारत मुख्य पड़ाव" (एसएचटीएमएल). बीबीसी. मूल से 25 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 9 अक्तूबर 2007.