परशुराम कुंड
परशुराम कुण्ड को प्रभु कुठार के नाम से भी जाना जाता है। यह अरुणाचल प्रदेश के लोहित ज़िले की पूर्वोत्तर दिशा में २४ किमी की दूरी पर स्थित है।[1][2] लोगों का ऐसा विश्वास है कि मकर संक्रांति के अवसर परशुराम कुंड में एक डूबकी लगाने से सारे पाप कट जाते है।[3]
परशुराम कुंड | |
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Parshuram Kund | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | परशुराम |
त्यौहार | मकर संक्रान्ति |
अवस्थिति जानकारी | |
ज़िला | लोहित ज़िला |
राज्य | अरुणाचल प्रदेश |
देश | भारत |
भौगोलिक निर्देशांक | 27°52′39″N 96°21′33″E / 27.87750°N 96.35917°Eनिर्देशांक: 27°52′39″N 96°21′33″E / 27.87750°N 96.35917°E |
विवरण
संपादित करेंइस कुण्ड से भगवान परशुराम की कथा जुड़ी हुई है। एक बार ऋषि जमादग्नि की पत्नी रेणुका ऋषिराज के नहाने के लिए पानी लेने गई। किसी कारणवश उसे पानी लाने में देर हो गई तब ऋषिराज ने परशुराम को अपनी पत्नी का वध करने के लिए कहा। पिता की आज्ञानुसार परशुराम ने अपनी माता का वध कर दिया। तब परशुराम ने मातृ वध के पाप से मुक्त होने के लिए इस कुण्ड में स्नान किया था। तभी से यह कुण्ड स्थानीय निवासियों में लोकप्रिय हो गया।
समय के साथ यह स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों में भी लोकप्रिय हो गया। अब यह कुण्ड लोहित की पहचान बन चुका है। हजारों तीर्थयात्री प्रतिवर्ष १४ जनवरी को मकर संक्रान्ति के दिन इस कुण्ड में स्नान करने आते हैं। अरूणाचल प्रदेश सरकार ने पर्यटकों की सुविधा के लिए अनेक सुविधाओं को उपलब्ध कराया है।
इन्हें भी देखें
संपादित करेंसन्दर्भ
संपादित करें- ↑ आदर्श ब्रह्मचारी, अतुल पराक्रमी श्री परशुराम[मृत कड़ियाँ]। अमर उजाला पर
- ↑ अरुणाचल प्रदेश Archived 2009-12-02 at the वेबैक मशीन भारत सरकार के आधिकारिक जालस्थल पर
- ↑ "पूर्वोत्तर रेलवे, भारत पर्यटन संबंधी सूचना". मूल से 20 अक्तूबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 दिसंबर 2009.