परासरण

एक रसायनिक अभिक्रिया

परासरण दो भिन्न सान्द्रता वाले घोलों के बीच होनेवाली एक विशेष प्रकार की विसरण क्रिया है जो एक अर्धपारगम्य झिल्ली के द्वारा होती है। इसमें विलायक के अणु या कण कम सान्द्रता वाले विलयन से अधिक सान्द्रता वाले विलयन की ओर गति करते हैं।[1] यह एक भौतिक क्रिया है जिसमें विलायक के अणु बिना किसी बाह्य उर्जा के प्रयोग के अर्धपारगम्य झिल्ली से होकर गति करते हैं। विलेय के अणु गति नहीं करते हैं क्योंकि वे दोनों विलयनों के अलग करने वाली अर्धपारगम्य झिल्ली को पार नहीं कर पाते।[2] परासरण की क्रिया में उर्जा मुक्त होती है जिसके प्रयोग से पेड़-पौधों की बढ़ती जड़ें चट्टानों को भी तोड़ देती हैं।

एक अर्धपारगम्य झिल्ली पर परासरण की प्रक्रिया। नील बिन्दु परासरणी प्रवणता को चलाने वाले कणों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
संगणक के द्वारा परासरण क्रिया का प्रदर्शन

प्राणियों में भूमिका संपादित करें

 
रक्त कोशिकाओं पर विभिन्न विलयनों का प्रभाव

सन्दर्भ संपादित करें

  1. Haynie, Donald T. (2001), Biological Thermodynamics, Cambridge: Cambridge University Press, पपृ॰ 130–136
  2. "Osmosis". मूल से 7 मार्च 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 अक्तूबर 2008.

इन्हें भी देखें संपादित करें